राजस्थान के सरकारी अस्पतालों का हाल, बिना उपचार कट रही पर्चियां, जांचें करवाकर गायब हो रहे मरीज
Rajasthan News: एसएमएस अस्पताल के सूत्रों की मानें तो अकेले इस अस्पताल में ही रोजाना करीब 2 हजार पर्चियां सिर्फ जांच व दवा सुविधा का लाभ लेने के लिए कटवाई जा रही हैं।
विकास जैन राजस्थान के सरकारी अस्पतालों के प्रतिदिन कुल आउटडोर में 15 से 20 प्रतिशत पंजीकरण सिर्फ सरकारी की निशुल्क जांच और दवा सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए करवाए जा रहे हैं। इन पंजीकरण के बाद आउटडोर में संबंधित सरकारी अस्पताल के चिकित्सक से परामर्श नहीं लिया जाता और सीधे ही जांच और दवा काउंटर से पर्चियां बनवाकर जांचें करवा ली जाती है और इलाज निजी अस्पताल में करवाया जा रहा है।
मरीजों और परिजनों की इस सुविधा में भागीदार बन रहे हैं अस्पतालों के ही चिकित्सा कर्मी। जिनकी मदद से अस्पतालों की मेडिकल रिलीफ सोसायटी को सीधे चपत लगाई जा रही है। एसएमएस अस्पताल के सूत्रों की मानें तो अकेले इस अस्पताल में ही रोजाना करीब 2 हजार पर्चियां सिर्फ जांच व दवा सुविधा का लाभ लेने के लिए कटवाई जा रही हैं।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध राजधानी के सभी 10 अस्पतालों में यह आंकड़ा करीब 3 हजार होने की आशंका है। पत्रिका ने प्रदेश के अन्य कुल जिलों से भी आंकड़े जुटाए। सामने आया कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के प्रतिदिन आउटडोर में से करीब 10% पर्चियां जांच-दवा का लाभ उठाने के लिए ही कटवाई जा रही है।
अस्पताल में जुगाड़, मरीज की मजबूरी
कई निजी अस्पतालों ने आयुष्मान मुख्यमंत्री बीमा योजना योजना में इलाज के सभी पैकेज के लिए अपने अस्पताल को अधिकृत नहीं करवा रखा। इसका कारण इस योजना में इलाज की पैकेज दरें कम होना है। मरीज इन अस्पतालों में अपने आयुष्मान कार्ड के साथ पहुंचता है तो उसे पता चलता है कि जांचों के पैसे तो उसे खर्च करने पड़ेगे। ऐसे में वह सरकारी अस्पताल में जुगाड़ का सहारा लेता है।
सर्जरी से ठीक पहले हो रहे गायब
सरकारी चिकित्सकों के अनुसार कई निजी अस्पताल सरकारी योजनाओं में जांचें नहीं करते, क्योंकि उन्हें महंगी पड़ती है। इसलिए कई मरीज यहां सिर्फ जांच करवाने के लिए आ रहे हैं। कई मरीज भर्ती होने के बाद सर्जरी से एक दिन पहले या सुबह गायब हो जाते हैं। इसके बाद निजी में जांचें दिखाकर सर्जरी करवा लेते हैं। इसका नुकसान सरकारी अस्पताल में वेटिंग में चल रहे मरीजों को होता है। उन्हें ऐनवक्त पर बिना सभी जांचों और सर्जरी से पूर्व के प्रोटोकॉल के बिना ऑपरेशन के लिए नहीं लिया जा पाता और उन्हें सात दिन तक इंतजार करना पड़ जाता है।
1 वर्ष में 1.06 करोड़ जांचें एसएमएस में
एसएमएस अस्पताल में ही 2800 से अधिक बेड हैं। मेडिकल कॉलेज के दस अस्पतालों एसएमएस, जेकेलोन, जनाना, महिला, श्वांस रोग संस्थान, गणगौरी, कांवटिया, मनोरोग, सेठी कॉलोनी अस्पताल में कुल बैड 6 हजार हैं। अकेले एसएमएस अस्पताल में ही एक वर्ष में 1.06 करोड़ जांचें हो रही हैं।
नि:शुल्क जांच सुविधाओं का लाभ लेने के लिए भेजने वाले निजी अस्पतालों पर नजर रखने का हम सिस्टम बनाएंगे। नुकसान उन मरीजों को हो रहा है, जो सरकारी अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं लेकिन उन्हें इंतजार करना पड़ता है। सभी विभागाध्यक्षों से इसकी जानकारी जुटाएंगे।
डॉ.दीपक माहेश्वरी, प्राचार्य एवं नियंत्रक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज