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जयपुर

RGHS Update : एक सरकारी आदेश बना सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ी मुसीबत, जानें पूरा सच

RGHS Update : एक सरकारी आदेश बना सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ी मुसीबत। मतलब अब अधिकारी ब्रांडेड दवाओं के प्रमोशन पर उतर आए हैं। डॉक्टर ब्रांडेड दवाएं लिख रहे पर दुकान पर मिलती नहीं है। दूसरी कंपनी की अनुमति नहीं है। फिर क्या करें। जानें पूरा सच।

जयपुरMar 02, 2025 / 09:35 am

Sanjay Kumar Srivastava

RGHS Truth Rajasthan Government One Order has become a Big Problem for Government Employees and Pensioners know Whole Truth
विकास जैन
RGHS Update : राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए संचालित राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में अधिकारी ब्रांडेड दवाओं के प्रमोशन पर उतर आए हैं। योजना के अंतर्गत राज्य और राज्य से बाहर के सभी सहकारी उपभोक्ता भंडार व निजी अनुमोदित आरजीएचएस फार्मेसी स्टोर को लिखित आदेश जारी किया गया है कि मरीज की दवा पर्ची पर लिखी गई दवाइयों को सब्स्टिट्यूट नहीं किया जाए। जिस ब्रांड की दवा चिकित्सक ने लिखी है, वही दवा मरीज को उपलब्ध कराई जाए।

मजबूरन खरीदनी पड़ती है डाक्टर की लिखी दवाएं

इस आदेश से सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। परेशान पेंशनर्स ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि निजी अस्पतालों के डॉक्टर पर्ची पर ब्रांडेड दवा लिखते हैं। वह दवा आरजीएचएस दुकान पर उपलब्ध नहीं है तो उसे मजबूरन पैसे देकर डॉक्टर के लिखे ब्रांड की ही दवा खरीदनी पड़ रही है।

पेंशनर को निजी दुकान से खरीदनी पड़ी दवा

मानसरोवर के एक निजी अस्पताल में शनिवार को पेंशनर को डॉक्टर ने ब्रांडेड दवा लिख दी। आरजीएचएस दुकान पर दवा लेने के लिए गए। पत्रिका संवाददाता को उन्होंने बताया कि वहां दवा नहीं मिली तो उन्होंने निजी दुकान से पैसे देकर खरीदी।
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कुछ ब्रांडेड कंपनियों को ही फायदा

इस आदेश से कुछ ब्रांडेड कंपनियों को ही फायदा होना तय माना जा रहा है। चिकित्सक की लिखी ब्रांडेड दवा की बाध्यता से कुछ कंपनियां इसका फायदा उठा रही है। आरजीएचएस दवा विक्रेता को भी मजबूरन वही ब्रांडेड दवा अपनी दुकान पर रखनी होगी, जो कि चिकित्सक पर्ची पर लिख रहे हैं।
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उसी अस्पताल से नहीं ली तो बाहर मिलना मुश्किल

पर्ची पर लिखी ब्रांडेड दवा ही देने की बाध्यता से मरीज को मजबूरन उसी अस्पताल के फार्मेसी स्टोर से दवा लेनी पड़ रही है। योजना के तहत जयपुर सहित बड़े शहरों में ग्रामीण इलाकों से भी मरीज आते हैं। उनके लिए शहर से बाहर या अस्पताल से दूर के दवा स्टोर से दवा लेना मुश्किल हो रहा है।
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अधिकारी से सवाल- पेंशनर को लिखा हुआ ब्रांड नहीं मिला तो विक्रेता समान सॉल्ट की दूसरी नहीं दे सकता?
यह मिला जवाब- दूसरी क्यों? पेंशनर जाकर दूसरी लिखवा ले, डॉक्टर को फोन कर ले

परियोजना अधिकारी शिप्रा विक्रम से सवाल-जवाब

Q- दवा का सब्स्टीट्यूट देने का विकल्प क्यों नहीं?
जवाब- वह ब्रांड नहीं है तो डॉक्टर से दूसरी दवा लिखवा ले, फोन कर लें।
Q- डॉक्टर के पास वापस जाना, फोन करने पर रेस्पांस मिलना आसान है?
जवाब- निजी अस्पताल भी चाहते हो, तो, अब कुछ तो करना ही पड़ेगा न।
Q- भुगतान नहीं हो रहा RGHS दवा विक्रेताओं को?
जवाब- बजट सत्र तो अभी चल रहा है, बजट तो आया है ना अभी।
Q- अक्टूबर के बाद से ही बजट नहीं आया क्या?
जवाब- कई का तो कई कारणों से रोका गया होगा, ये पूरी बात नहीं बताते।

कई महीनों से भुगतान बकाया, आधी अधूरी मिल रही दवा

कई दवा विक्रेताओं को कई महीनो से दवाओं का भुगतान नहीं किया गया है। जिस कारण वह सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को दवा देने में आनाकानी कर रहे हैं। पिछली सरकार में सीजीएचएस की तर्ज पर आरजीएचएस लागू की थी। पेंशनरों को चिकित्सा सेवाओं की अधिक आवश्यकता होती है। पूर्व में उन्हें मेडिकल डायरी रखनी होती थी। इसलिए आरजीएचएस में इसे कैशलेस किया गया। लेकिन योजना के तहत समय पर भुगतान नहीं होने का आरोप लगाकर कई बार दवा विक्रेता मरीजों को दवा नहीं दे रहे हैं।

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