scriptजयपुर में शिव महापुराण कथा 7 दिन के बजाय 3 दिन में समाप्त, प्रदीप मिश्रा ने की मंच से घोषणा; जानें क्या रहा कारण? | Shiv Mahapuran Katha ended in 3 days instead of 7 days in jaipur Pradeep Mishra announced from stage | Patrika News
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जयपुर में शिव महापुराण कथा 7 दिन के बजाय 3 दिन में समाप्त, प्रदीप मिश्रा ने की मंच से घोषणा; जानें क्या रहा कारण?

राजधानी जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में सात दिन चलने वाली शिव महापुराण कथा का आज तीसरे दिन समापन कर दिया गया है। हालांकि बाद में इस कथा को फिर से जारी रखे जाने का आह्वान किया गया।

जयपुरMay 04, 2025 / 05:09 pm

Lokendra Sainger

Shiv Mahapuran Katha ended

कथावाचक प्रदीप मिश्रा

Shiv Mahapuran Katha in Jaipur: राजधानी जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में सात दिन चलने वाली शिव महापुराण कथा को आज तीसरे दिन समापन कर दिया गया है। इस कथा का वाचन मध्यप्रदेश के सीहोर वाले कथावाचक प्रदीप मिश्रा कर रहे थे। बताया जा रहा है कि कथा में अत्यधिक भीड़ पहुंचने के कारण अव्यवस्थाओं के चलते कथा स्थगित कर दी गई है। इस सूचना के बाद देशभर से पहुंचे भक्तों में मायूसी छा गई है।
गौरतलब है कि कथा सुनने के लिए राजस्थान सहित बिहार, मध्यप्रदेश, कोलकाता से बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ पहुंची थी। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने मंच से कथा के समापन की घोषणा की। जिला प्रशासन और पुलिस के आलाधिकारियों ने आयोजकों से वार्ता की।
जिसके बाद अधिक भीड़ के कारण अनहोनी और सुरक्षा के मद्देनजर फैसला लिया गया। वहीं, विधायक बालमुकुन्दाचार्य ने की श्रद्धालुओं से शांति रखने की अपील की है। हालांकि बाद में इस कथा को फिर से निरंतर जारी रखे जाने का आह्वान किया गया।
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वहीं, लड़कियों की नाभि पर बयान देकर एक बार फिर फंसते नजर आ रहे हैं। कथावाचक के नाभि पर दिए बयान पर सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई है। इस दौरान कोई कथा वाचक का सपोर्ट कर रहा है, वहीं कुछ लोग इनके बयान पर आपत्ति जता रहा है।
प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को लड़कियों की नाभि की तुलना तुलसी के जड़ से कर दी। कथावाचक के नाभि पर दिए बयान पर सोशल मीडिया पर विरोध देखने को मिल रहा है। प्रदीप मिश्रा ने शिव-सती की कथा से कार्यक्रम की शुरुआत की और भक्ति, संयम और सेवा का संदेश दिया।
उन्होंने राजस्थान की संस्कृति और पहनावे की सराहना करते हुए बेटियों से आग्रह किया कि वे पारंपरिक परिधान अपनाएं। कितने भी आधुनिक हो जाएं, बाहर की सभ्यता और पहनावा राजस्थान में मत लाएं। यहां का पहनावा तो माता पार्वती और भगवान शंकर ने भी धारण किया था। राजस्थान का पहनावा अपने आप में अलौकिक है।

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