इस सीजन की बात करें तो क्षेत्र की लाल गाजर की चमक दिल्ली, जयपुर की विभिन्न मंडियों में महक रही है। यहां से किसान रोजाना दर्जनों पिकअप गाजर की भरकर मंडियों तक पहुंचा रहे हैं। वहीं स्थानीय स्तर पर होटल ढाबों व बाजारों में मिष्ठान भंडारों पर भी गाजर की खपत हो रही है।
क्षेत्र के किसानों को मंडी की दरकार है, यदि सरकार द्वारा रायसर कस्बे के माथासूला मोड पर मंडी के लिए आवंटित भूमि में मंडी निर्माण शुरू करवाकर मूर्तरूप दिया जाए, तो किसानों को अपनी फसलों व सब्जियों का अधिक मुनाफा मिले और क्षेत्र में रोजगार को पंख लगे।
किसानों का कहना है कि रायसर में मंडी बनकर तैयार हो जाए तो उपखंड क्षेत्र के 243 गांवों व अलवर जिले के लोटवास कुंडा व प्रतापगढ़ तक के एरिया के किसानों को अपनी उपज व सब्जी बेचने के लिए दूर नहीं जाना पड़े, स्थानीय स्तर पर ही उपज खपत होने लग जाए।
इन गांवों में होती अच्छी पैदावार
रायसर कस्बा के आसपास स्थित माथासूला, बहलोड, सामरेड खुर्द, सामरेड कला, लूनेठा, गोडियाना, डेडवाडी, मंहगी, पावटा, लोडीपुरा, दंताला, ताला, धौला, चिलपली, बिलोद, टोडा मीणा, कुशलपुरा, चैनपुरा, त्रिलोकपुरा, देवीतला, जोधराला, भट्टकाबास, गोपालगढ़ में किसान तकनीक से सब्जी की फसले उत्पादित कर रहे है। इस सीजन में अकेले माथासूला में करीब 150 बीघा, बिलोद 300, टोडा मीणा 150, बहलोड 80, गोपालगढ़ 100 बीघा भूमि सहित सभी गांवों में गाजर की पैदावार है।
गाजर की मिठास व शुद्ध सब्जियों की वजह से बढ़ी मांग
माथासूला निवासी किसान हनुमान सहाय, रामनाथ सहित क्षेत्र के कई किसान बताते हैं कि क्षेत्र में पहले परंपरागत खेती की जाती थी, लेकिन 2005-06 के बाद धीरे-धीरे नकदी फसलों का रकबा बढ़ता गया। यहां की गाजर की मिठास अच्छी होने से लोग पसंद करते हैं। क्षेत्र में अच्छी किस्म व शुद्ध पानी की सब्जियां उत्पादित होने से बाजारों में मांग बढ़ी है।