जयपुर में कोचिंग जा रही युवती से क्लासमेट पवन तंवर ने छेड़छाड़ कर मोबाइल छीन लिया। युवती को काफी समय से पवन मैसेज और कॉल कर परेशान कर रहा था। उसने पवन का नंबर ब्लॉक कर दिया। इससे नाराज आरोपी ने उसे रोक लिया और छेड़छाड़ कर मोबाइल नंबर ब्लॉक करने पर गाली गलौज की। युवती ने राजकॉप ऐप पर मैसेज भेजा, जिससे पुलिस तुरंत पहुंची और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। लंबे समय से परेशान कर रहा पवन अब सलाखों के पीछे है। दरअसल, ये संकेत खतरनाक मानसिक बीमारी ‘ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर’ (ओएलडी) का उदाहरण है।
लड़कियों की तुलना में लड़के ज्यादा प्रभावित जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल में हर महीने ऐसे 15-20 केस सामने आ रहे हैं। युवाओं में ‘ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर’ देखा जाना आम बात है। ये एक मानसिक बीमारी है और इससे ग्रसित व्यक्ति सामने वाले का जीना मुश्किल कर देता है। वो भले ही प्रेम में होने का दावा करे..लेकिन असल में ऐसा व्यक्ति ऑब्सेशन में होता है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि लड़कियों की तुलना में लड़के इस समस्या के अधिक शिकार होते हैं। इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को खुद अहसास नहीं होता कि वह मनोरोगी बन चुका है।
क्या है ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर? वैसे तो किसी का पीछा करना, ब्लैकमेल करना, लगातार मेसेज और कॉल तंग करना ‘स्टॉकिंग’ कहलाता है, जो कानूनन अपराध है। कई बार ये महज स्टॉकिंग का मामला नहीं होता, बल्कि इसके पीछे ‘ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर’ होता है। एसएमएस अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ धर्म? दीप सिंह ने बताया कि ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर (ओएलडी) एक तरह की ‘साइकोलॉजिकल कंडीशन’ है, जिसमें लोग किसी एक शख्स पर असामान्य रूप से मुग्ध हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि वो उससे प्यार करते हैं। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उस शख़्स पर सिर्फ़ उनका हक है और उसे भी बदले में उनसे प्यार करना चाहिए। अगर दूसरा शख़्स उनसे प्यार नहीं करता तो वो इसे स्वीकार नहीं कर पाते हैं। ऐसी कंडीशन में अधिकतर ये एक तरफा प्यार पाया जाता है। अगर कोई और उन्हें प्यार करता है, तो वो जलन या जैलेसी का अनुभव करने लगते हैं। जुनूनी हद तक प्यार करने वाले लोगों के रिश्तों में अविश्वास, तनाव, चिंता और हिंसा का होना स्वाभाविक है।
बीमारी के खतरनाक लक्षण
-किसी व्यक्ति के प्रति अत्यधिक लगाव और जुनून।
-उसके बारे में हर वक्त सोचना, भले ही चाहकर भी खुद को रोक न पाना।
-उसके जीवन में पूरी तरह दखल देने की कोशिश।
-रिजेक्शन बर्दाश्त न कर पाना और आक्रामक हो जाना।
-बार-बार कॉल, मैसेज और पीछा करना, सोशल मीडिया पर स्टॉक करना।
-उसे ब्लैकमेल करना या जबरदस्ती अपने प्यार को मनवाने की कोशिश करना।
क्या है इलाज?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या का समय रहते इलाज जरूरी है। काउंसलिंग, थेरेपी और दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। 5-6 सेशन में ही मरीज में सुधार दिखने लगता है। अगर इसे अनदेखा किया गया, तो यह हिंसा, अपराध और आत्महत्या तक का रूप ले सकता है। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता ही इस तरह की घटनाओं को रोकने में मदद कर सकती है।