स्वर्णनगरी का ऐतिहासिक सोनार दुर्ग इन दिनों अपनी खूबसूरती से ज्यादा अव्यवस्थित यातायात के कारण चर्चा में है। पर्यटन सीजन की आहट से पहले ही दुर्ग में तिपहिया वाहनों की बेलगाम आवाजाही ने संकट खड़ा कर दिया है। संकरी और घुमावदार घाटियों में लगातार दौड़ते इन वाहनों से रहवासी, व्यापारी, विद्यार्थी और पर्यटक सभी परेशान हैं। सुबह जब छात्र और स्थानीय लोग बाहर निकलते हैं, तब यह समस्या और डराती हो जाती है। दशहरा चौक जैसे प्रमुख स्थानों पर वाहनों का जमघट अब रोज़मर्रा की कहानी बन चुका है। सोलंकी छोटे बड़े वाहनों की आवाजाही के लिए सुबह 9:00 से दोपहर 1:00 तक जिला प्रशासन की रोक है।बावजूद इसके व्यावहारिक तौर पर इसकी अनुपालना नहीं की जा रही है और न ही यातायात नियंत्रण की कोई ठोस व्यवस्था लागू है। जानकारों के अनुसार आने वाले दिनों में जब पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी, तब यह बदहाल व्यवस्था हादसों का कारण बन सकती है। स्थानीय निवास मनीष कुमार बताते हैं कि हर सुबह डर के साये में बच्चे स्कूल भेजते हैं। तिपाहिया वाहन व लोडिंग घुमावदार घाटी के रास्तों में कैसे दौड़ सकते हैं, वह भी अखे प्रोल में पुलिसकर्मियों की उपस्थिति के बावजूद….यह समझ से परे है। स्थानीय निवासी इकबाल का कहना है कि पर्यटक शिकायत करते हैं कि इतना सुंदर दुर्ग है लेकिन ट्रैफिक से सारा अनुभव बिगड़ जाता है। इसी तरह निजी क्षेत्र में कार्यरत दिनेश का यही कहना है कि पर्यटक कहते हैं कि जिस जगह घूमने आए, वहां पैदल चलना भी मुश्किल है। दर्शनार्थी विक्रम परिहार का कहना है किघाटियों में तेज़ रफ्तार में आते वाहन कई बार स्कूली बच्चों के लिए खतरा बनते हैं। दुर्ग में वाहनों की आवाजाही के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए। सुबह और शाम के व्यस्त समय में वाहनों पर प्रतिबंध हो और यातायात नियंत्रण के लिए कर्तव्यनिष्ठ सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएं। दुर्गवासियों के अनुसार बिना किसी नियम के चल रही आवाजाही न सिर्फ व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि यहां के लोगों के लिए रोज-रोज की परेशानी के साथ-साथ खतरे को भी निमंत्रण दे रही है।
3,000 से अधिक निवासी निवास करते हैं दुर्ग के भीतर – 80 से अधिक व्यापारिक प्रतिष्ठान. संचालित हो रहे हैं सोनार किले के भीतर 500 के करीब सैलानी व दर्शनार्थी प्रतिदिन आते हैं दुर्ग में
2 नगरपरिषद के वार्ड में बंटा है जैसलमेर का सोनार किला
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