खानपान विशेषज्ञों की राय
आयुर्वेदाचार्य डॉ. हरिराम बोथरा का कहना है कि थार क्षेत्र में गर्मी और लू से लडऩे के लिए परंपरागत व्यंजनों की रचना पीढिय़ों के अनुभव से हुई है। काचरी, बेल, छाछ, कैर, सांगरी आदि शीतल व पाचनवर्धक तत्व हैं। जब युवा इन्हें अपनाते हैं तो न केवल शरीर को लाभ होता है, बल्कि संस्कृति भी संरक्षित रहती है।फूड एक्सपर्ट वंदना व्यास कहती हैं कि फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक के युग में देसी व्यंजन ही शुद्धता और पोषण के आधार हैं। गर्मियों में ज्वार की रोट और रायता न केवल कूलिंग एफेक्ट देते हैं, बल्कि डाइजेस्टिव सिस्टम को दुरुस्त रखते हैं। स्थानीय होटलों और कैफे में अब ग्रीष्मकालीन थाली का चलन शुरू हो गया है, जिसमें जैसलमेर के गर्मियों के देसी व्यंजन परोसे जा रहे हैं।