सडक़ों पर उभर आए जख्म
शहर की सडक़ों की दशा बरसात के पहले प्रहार से ही खराब हो गई है। हनुमान चौराहा जाने वाले मार्ग में बड़े-बड़े गड्ढे बन गए। खराब गुणवत्ता के कारण अनेक सडक़ों पर डामर बह गया और अब केवल कंकरीट बची रह गई है। भाटिया बगेची के पीछे वाले हिस्से से लेकर बीएसएनएल कार्यालय के पास वाले इलाके में हर बार की भांति पानी भर जाने से कीचड़ जमा हो गया। गलियों के फर्श पर लगी दाबडिय़ां और कई स्थानों पर सीमेंट की टाइल्स उखड़ चुकी हैं। लाइट गुल होने का पुराना रोग
- बरसात के समय शहर में लाइट का गुल होना मानो अलिखित नियम बन गया है। इस बार भी हालात जुदा नहीं रहे। गत महीने के आखिर में हुई तेज बारिश ही नहीं गत गुरुवार को हुई मामूली वर्षा से भी बिजली व्यवस्था प्रभावित हो गई।
- दिन और रात किसी भी समय बिजली का गुल होना एक लाइलाज मर्ज बना हुआ है।
- शहर की रात्रि प्रकाश व्यवस्था पहले ही डांवाडोल थी, वह बरसातों के प्रभाव से और ज्यादा डगमग हो गई है। हाल में लगी ऑर्नामेंटल रोड लाइट्स तक अनियमित रूप से जल रही हैं। कभी हाइ मास्ट बंद रहती हैं तो कभी सडक़ किनारे लगी लाइट्स।
इधर परेशानी शहरवासी…
जैसलमेर में बरसाती सीजन की शुरुआत होते ही सामान्य व्यवस्थाओं का संतुलन बिगड़ गया है। बिजली-पानी की आपूर्ति अनियमित हो गई और सडक़ें क्षतिग्रस्त हुई हैं। - महेशसिंह , स्थानीय निवासी
शहर में साफ-सफाई व्यवस्था केवल मुख्य स्थलों व मार्गों तक सीमित नजर आती है। गलियों-मोहल्लों में नालियों से कचरा कभी कभार ही निकाला जाता है और उसे भी समय पर नहीं उठाया जा रहा। जो बरसात आने पर सडक़ों पर बह कर आ जाता है। - पंकज आचार्य, स्थानीय निवासी