जैसलमेर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में शुक्रवार को शीतला सप्तमी पर्व परंपरागत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया। महिलाओं ने अनगढ़, उभरे पत्थर या खंडित मूर्ति की पूजा कर शीतला माता और उनकी सवारी गर्दभ की अर्चना की। घरों में इस दिन चूल्हे नहीं जले और परिवारजनों ने एक दिन पहले बनाए गए भोजन का सेवन किया। अधिकांश घरों में चावल, सांगरी की सब्जी, पूरी और अन्य पकवान परोसे गए।
चैत्र शुक्ल सप्तमी के अवसर पर महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में सोनार दुर्ग स्थित शीतला माता मंदिर पहुंचीं और पूजा-अर्चना की। उन्होंने माता को मेहंदी, कुमकुम, चूरमा आदि का भोग अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि और चेचक जैसी बीमारियों से रक्षा की प्रार्थना की।
शीतल भोजन का वितरण
महिलाओं ने शीतला सप्तमी की परंपरा निभाते हुए अपने परिचितों व पड़ोसियों को शीतल भोजन व प्रसादी के रूप में छाछ, दही और शीतल जल वितरित किया।