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जांजगीर चंपा

Bilaspur High Court: नाबालिगों के विरुद्ध अपराध मानवता के खिलाफ, उनसे सख्ती से निपटें.. हाईकोर्ट का फैसला

Bilaspur High Court: सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आधार पर कहा कि नाबालिग की गवाही यदि विश्वसनीय है, तो दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त है। इसके साथ ही नाबालिगों के खिलाफ अपराध पर सख्ती से निपटने को कहा।

जांजगीर चंपाFeb 23, 2025 / 01:09 pm

Laxmi Vishwakarma

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Bilaspur High Court: एक महत्वपूर्ण फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे हमारे देश के अनमोल मानव संसाधन हैं। वे पूर्ण सुरक्षा और अधिक देखभाल के हकदार हैं। नाबालिगों के खिलाफ अपराध मानवता के खिलाफ अपराध अपराध हैं और उनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए।

Bilaspur High Court: आरोपी द्वारा दायर अपील खारिज

हाईकोर्ट ने उक्त टिप्पणी नाबालिग के अपहरण, रेप के मामले में दोषी अभिषेक रात्रे की दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखते हुए की। उसको धारा 363, 366 और 376(3) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 की धारा 4(2) और 6 के तहत दोषी पाया गया था। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हुए आरोपी द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।

अपहरण कर महाराष्ट्र ले गया था नाबालिग को

मामला 14 मार्च, 2021 को रायपुर के खमतराई पुलिस स्टेशन का है। पीड़िता की मां ने एफआईआर कराई थी कि उसकी 14 वर्ष, 7 महीने और 11 दिन की नाबालिग बेटी 19 फरवरी, 2021 को लापता हो गई थी। पुलिस ने जांच शुरू की और आखिरकार महाराष्ट्र के अहमदनगर में अभिषेक के कब्जे से पीड़िता को बरामद किया।
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जांच के दौरान, पीड़िता के स्कूल के प्रवेश रिकॉर्ड जब्त किए गए, जिससे उसके नाबालिग होने की पुष्टि हुई। मेडिकल जांच और फोरेंसिक रिपोर्ट ने अभियोजन पक्ष के यौन उत्पीड़न के दावों की पुष्टि की। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराया और उसे विभिन्न धाराओं के तहत अलग-अलग अवधि के लिए कठोर कारावास की सजा सुनाई, जिसमें गंभीर यौन उत्पीड़न के लिए 20 साल की सजा भी शामिल है।

नाबालिग की गवाही पर्याप्त, सहमति अमान्य

Bilaspur High Court: सजा की विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील कर तर्क दिया गया कि साथ जाने में पीड़िता की सहमति थी। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आधार पर कहा कि नाबालिग की गवाही यदि विश्वसनीय है, तो दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त है। कोर्ट ने पॉक्सो अधिनियम के तहत नाबालिग की सहमति को कानूनी रूप से अप्रासंगिक माना।

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