ज्ञापन में जिले के पामगढ़ ब्लॉक के ग्राम चंडीपारा निवासी मुरली मनोहर शर्मा बताया कि एक सामान्य नागरिक के तौर पर उन्होंने शासन और प्रशासन की व्यवस्थाओं से हार मान ली है। शर्मा ने 4 पृष्ठों के इस पत्र में लिखा है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व और पुलिस जैसे जरूरी विभागों में फैली अराजकता,
भ्रष्टाचार, लापरवाही और अकुशलता ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया है। शासन की नीतियां कागजों तक सीमित है, जमीनी स्तर पर हालात बेहद बदतर है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन में ईमानदार और संवेदनशील अधिकारियों की कमी है। ज्यादातर अधिकारी अपने हितों और कमाई में व्यस्त हैं। आम जनता की समस्याएं उन्हें झंझट लगती हैं। शिकायतें होती हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिफारिश तंत्र और फाइल गेम चलता है। अपने पत्र में यह भी लिखा है कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों के दबाव में या अपनी सुविधा के हिसाब से कार्रवाई करते हैं। जिले में कोई स्पष्ट उत्तरदायित्व तय नहीं है, न ही अधिकारियों के कामकाज की निगरानी। यदि कोई शिकायत करता है तो उस पर ही सवाल खड़े कर दिए जाते हैं। कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता रसातल में जा चुकी है।
अस्पतालों में इलाज नहीं, सिर्फ खानापूर्ति होती है। पुलिस और राजस्व विभाग में जनता को न्याय मिलने के बजाय उपेक्षा और अपमान झेलना पड़ता है। मुरली मनोहर शर्मा का कहना है कि वे और उनका परिवार किसी मानसिक या शारीरिक रोग से पीड़ित नहीं हैं, बल्कि प्रशासनिक उपेक्षा और अपमान से त्रस्त होकर यह कदम उठा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि 10 अगस्त तक उनकी बात पर विचार नहीं हुआ तो यह सिद्ध हो जाएगा कि शासन की दृष्टि में आम जनता का जीवन नगण्य है।
पामगढ़ एसडीएम ने बुलाई बैठक पर नहीं हुए शामिल
पामगढ़ एसडीएम ने शिक्षा, स्वास्थ्य व पुलिस के साथ एसडीएम ऑफिस में आयोजित बैठक में मुरली मलोहर शर्मा को भी बुलाया गया था। लेकिन उनका कहना है कि उच्च स्तर के अफसर से बातचीत होगी, तभी उनकी समस्याओं का समाधान होगा, इसलिए बैठक में वे शामिल होने नहीं गए।