नवागढ़ पुलिस के अनुसार प्रार्थी कमलेश देवांगन निवासी अमोदा थाना नवागढ़ के द्वारा के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई कि मुख्तार अली व उसका पुत्र गांव में किराना दुकान व ऑनलाइन लेन-देन का काम करते थे। कुछ दिनों के बाद मुख्तार अली व उसका पुत्र ने खुद का बैंक होना बताया और उनके बैंक में पैसा जमा करने पर हर माह एक से दो प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा कहते हुए लोगों को झांसा देने लगे। इनकी बात पर ग्रामीणों ने विश्वास करके उनके पास पैसा जमा करने लगे। पीड़ितों के द्वारा किश्तों के रूप में पैसा जमा करते थे।
प्रार्थी कमलेश देवांगन के द्वारा भी 22 जून 2017 से 2020 तक कुल 24 किस्तों में 23 लाख 30 हजार रुपए जमा किए थे। इसके अलावा गांव के अन्य 20-25 लोग भी तकरीबन 50 से 60 लाख रुपए जमा किए थे। इसके बाद आरोपी भाग निकला। पुलिस ने आरोपी को
रायपुर से गिरफ्तार कर लिया है। उपरोक्त कार्रवाई में निरीक्षक भास्कर शर्मा, महिला प्रधान स्वाती गिरोलकर, आरक्षक बलराम यादव, कुलदीप खूंटे, टुकेश्वर डड़सेना एवं अन्य थाना स्टॉफ का सराहनीय योगदान रहा।
इस नाम से बनाया बैंक
पैसा जमा करते समय मुख्तार अली के द्वारा सभी लोगों को एक छोटी-छोटी डायरी को पासबुक जैसा बनकर मुतार अली किराना पोस्ट अमोदा चांपा 495668 एवं एरियोल्ड टेक्नॉलाजी प्राईवेट लिमिटेड अमोदा का सील लगाकर अपना हस्ताक्षर करके पावती देता था। प्रार्थी एवं अन्य लोगों के द्वारा घरेलू काम हेतु पैसा की जरूरत पड़ने पर मुख्तार अली व उसके पुत्र से पैसा मांगने पर आज देंगे, कल देंगे कहकर बोलते थे। आखिरकार ठग रायपुर भाग निकला।
50 से 60 लाख रुपए की थी ठगी
इस प्रकार से आरोपियों के द्वारा लगभग 50 से 60 लाख रुपए का ठगी किया गया है। 2 से 3 वर्ष पूर्व मुख्तार अली व उसका पुत्र गांव अमोदा छोड़कर परिवार सहित रायपुर चला गया। तब प्रार्थी और अन्य ग्रामीणों को शंका हुई कि मुख्तार अली और उसके पुत्र के द्वारा सभी के साथ पैसा लेकर
धोखाधड़ी किया है। पैसा लेकर फरार हो गया। पैसा वापस मिलने के इंतजार में पीड़ितों ने रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रहे थे।
परन्तु जब पैसा मिलने की उमीद खत्म हो जाने से थाना नवागढ़ में धारा 420-34 आईपीसी कायम कर विवेचना कार्रवाई में लिया गया। विवेचना दौरान आरोपी मुख्तार अली निवासी हाल रायपुर को उसके घर से पकड़ा। जिसको पूछताछ कर करने पर जुर्म स्वीकार किए जाने से गिरतार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है।
चार साल तक उसे ढूंढती रही पुलिस
मामले की रिपोर्ट के बाद पुलिस उसकी तलाश करती रही, लेकिन उसका पता नहीं चल पा रहा था। पुलिस उसके कई गुमनाम ठिकाने में छापेमारी भी करती रही, लेकिन उसका पता तलाश नहीं हो पाया। इस दौरान पुलिस ने उसे पकड़ने मुखबिर का जाल बिछाया, मुखबिर उसके ठिकानों में लगातार दबिश देती रही, लेकिन उसका बड़ी मुश्किल से पता चला।