
फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड जांजगीर में
बताया जाता है कि प्रत्येक डिग्री या प्रमाण पत्र के लिए एक से दो लाख रुपए लिए जाते हैं। इस फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड जांजगीर चांपा जिले का एक शख्स है, जो कई वर्षों से फर्जी प्रमाण पत्र की डिग्रियां बेच रहा है। इस खेल में उसने बिलासपुर, जांजगीर, कोरबा तथा रायपुर में आलीशान मकान के अलावा कई फार्म हाउस खरीदकर अकूत संपत्ति कमाई है।दस्तावेजों के सत्यापन पर उठ रहे सवाल
बता दें कि नौकरी से पहले फाइनल चयन सूची में नाम आने पर अभ्यर्थी के दस्तावेजों की बारीकी से जांच होती है। सत्यापन के दौरान देखा जाता है कि जिस विवि या संस्थान से उन्होंने डिग्री ली है वह नियमानुसार है या नहीं। साल 2007 से 2023 तक चयनित शिक्षा कर्मियों के प्रमाण पत्रों की गंभीरता से जांच की जाए तो फर्जी प्रमाण पत्र वाले नौकरी करने वालों के अलावा इनसे जुड़े बड़े गिरोह का पर्दाफाश होना तय है।पत्रिका संवाददाता से एजेंट की बातचीत
संवाददाता: मुझे एमजे की डिग्री चाहिए।एजेंट: अपने पुरानी डिग्रियां मुझे भेजो, काम हो जाएगा।
संवाददाता: कौन कौन सी मार्कशीट भेजना है?
एजेंट: ग्रेजुएशन की डिग्री।
संवाददाता: कितने पैसे लगेंगे?
एजेंट: लगभग 80 हजार रुपए
संवाददाता: कब तक मिलेगी डिग्री?
एजेंट: एक से दो माह लगेंगे।
संवाददाता: परीक्षा तो नहीं देना पड़ेगा।
एजेंट: नहीं, आपके घर बैठे डिग्री आएगी।