नि:शुल्क मिले पानी-
शहरों में जो गोशालाएं संचालित हो रही हैं,उनसे नॉन डॉमेस्टिक श्रेणी से पानी का बिल वसूला जा रहा है। यह गलत है। गोशालाओं के लिए पानी का बिल नि:शुल्क होना चाहिए। गोशालाओं का संचालन कोई बिजनेस का कार्य नहीं है। इस तरह से वसूली बंद होनी चाहिए। सरकार इस तरफ ध्यान दे तो गोशालाओं का खर्चा बच जाएगा। गोशालाओं के लिए पानी नि:शुल्क होने की घोषणा होनी चाहिए। इससे गोशालाओं की आर्थिक मदद होगी। गायों को पानी पिलाना तो पुण्य का कार्य है।
प्रदेश में 3 हजार से ज्यादा पंजीकृत गोशालाएं-
प्रदेश में राजस्थान गोशाला अधिनियमए 1960 के तहत पंजीकृत गोशालाओं की संख्या 3043 हैं। जबकि क्रियाशील गोशालाओं की संख्या करीब 3510 हैं। पात्र गोशालाओं को सरकार अनुदान देती हैं। जिले में इतने ही गोशालाएं- जिले में 56 गोशालाएं पंजीकृत है। जो पशुपालन विभगा में पंजीकृत है। वैसे तो जिले में कुल गोशालाएं 61 है। लेकिन बाकी का पंजीयन अभी प्रक्रियाधीन है। अंतर प्रति हजार लीटर पानी घरेलू दर- 2.20 रूपए नॉन डॉमेस्टिक दर- 9.90 रुपए अंतर 15 हजार लीटर पानी घरेलू दर-4.40 रुपए नॉ डॉमेस्टिक दर- 18.15
रुपए अंतर 40 हजार लीटर पानी घरेलू दर- 5.50 रुपए नॉन डॉमेस्टिक दर- 24.20 रुपए
पानी की व्यवस्था करनी चाहिए-
जलदाय विभाग को गोशालाओं में पानी की नि:शुल्क व्यवस्था करनी चाहिए या फिर जो शुल्क लिया जा रहा है वो न्यूनतम लिया जाना चाहिए। पहले तो सरकार पशुओं के लिए खेल बनाती थी। ये पुण्य काम काम है।
शैलेन्द्र यादव, जिलाध्यक्ष, गोशाला संघ,झालावाड़।