लागत भी बेहद कम किसी भी वाटर बॉटलिंग प्लांट को स्थापित करने में जहां लगभग 3 करोड़ रुपये की लागत आती है, वहीं इस प्रणाली को तैयार करने में 10 से 30 लाख रुपये तक का खर्च आता है और 5 से 9 लाख लीटर आकाशीय जल साफ किया जा सकता है। इसमें गुरुत्वाकर्षण शक्ति से वर्षा जल आगे बढ़ता है, इसलिए भूगर्भ से जल शिफ्ट करने में खर्च होने वाली बिजली पूरी तरह से बचाया जा सकता है। यदि आवासीय, व्यवसायिक, अस्पताल, मॉल, गैराज या अनावासीय भवन में यह सिस्टम लागू किया जाए तो हर साल 2.5 किलोवाट से 5 किलोवाट तक बिजली बचायी जा सकती है।
नए अविष्कार की खासियत झांसी में पुलिस उप महानिरीक्षक रह चुके सेवानिवृत्त आईपीएस महेंद्र मोदी (आईपीएस) जल संरक्षण के लिए लगातार नए अविष्कार करने के साथ लोगों को पानी की बूंद-बूंद बचाने के लिए प्रेरित करते रहते है। उनके नए अविष्कार को ‘छत का विद्युत मुक्त शुद्धिकृत वर्षा जल सीधे बहुमंजिली इमारत में’ (Rainwater collection, purifying and supply system without using energy) नाम दिया गया है। पेटेंट कंट्रोलर द्वारा अवॉर्डिड इस आविष्कार में आकाशीय जल को भू-गर्भ में लाने और रिचार्ज की पहले छत से उतारने के साथ ही टंकी में संरक्षित किया जाता है। इस टंकी में 4 चेंबर होते हैं। टंकी में जल आपूर्ति करने के रास्ते में ही विशेष व्यवस्था से स्वच्छ कर लिया जाता है, लेकिन पेयजल बनाने के पहले उसे कार्बन फिल्टर और यूवी फिल्टर से साफ करने व्यवस्था की गयी है। इसमें रिवर्स ऑस्मोसिस की जरुरत नहीं पड़ती, क्योंकि कोई भी आर्सेनिक आदि प्रदूषक या हानिकारक तत्व नहीं होते।
इन्होंने कहा आविष्कार करने वाले पूर्व आईपीएस महेंद्र मोदी का कहना है कि वॉटर बॉटलिंग प्लांट लगाने के लिए औद्योगिक क्षेत्र चाहिए, जबकि यह सिस्टम हर भवन में बनाया जा सकता है। इसमें सरकार एक पैसा भी खर्च किए बगैर 71 लाख परिवारों को रोजगार दे सकती है। इसका पानी पीने में अच्छा होने के साथ रेलवे प्लेटफॉर्म के ऊपर पर्याप्त ऊंचाई पर लगे शेड पर स्थापित किया जा सकता है।