यह दिए गए आदेश
अधिकरण
जयपुर के अध्यक्ष विकास सीताराम भाले व न्यायिक सदस्य अनंत भंडारी की बेंच की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि नवंबर 2024 में बीडीके अस्पताल में जिंदा व्यक्ति को मृत बताकर पोस्टमार्टम करने के मामले से डॉ. संदीप पचार का कोई संबंध नहीं हैं। डॉ. योगेश जाखड़ ने उपचार के दौरान व्यक्ति को मृत घोषित किया और डॉ. नवनीत मील ने पोस्टमार्टम किया।
वहीं निलंबन आदेश में तीन चिकित्सकों को एक आदेश पर निलंबित कर दिया गया। ऐसे में तीनों व्यक्तियों के खिलाफ एक ही मामला पाया गया है, जबकि अपीलार्थी तो केवल प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के पद पर ही कार्यरत था। इनके द्वारा ना तो इलाज किया गया और ना ही पोस्टमार्टम। ऐसे में अपीलार्थी की तरफ से किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं की गई है।
फोन पर दी थी सूचना
मामले में तर्कराय जिला मजिस्ट्रेट ने जांच की, जिसमें अपीलार्थी के विरूद्ध ये अंकित किया कि पीएमओ की ओर से कार्रवाई किए जाने में जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देने में विलंब किया गया। जबकि अपीलार्थी ने टेलीफोन से जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय को सूचना दे दी थी।
निलंबन को नहीं माना उचित
अपीलार्थी के विरूद्ध गलत तरीके से कार्रवाई की गई। इसके चलते अपीलार्थी के विरूद्ध कोई घोर लापरवाही का मामला नहीं है कि निलंबन को उचित माना जाए। साथ में यह भी लिखा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट झुंझुनूं की ओर से प्रमुख शासन सचिव को 21 नंवबर 2024 को भेजी गई जांच रिपोर्ट के अनुसार उपचार के दौरान डॉ. योगेश जाखड़ ने मरीज को मृत घोषित किया और पोस्टमार्टम नवनीत मील ने की किया था। अपीलार्थी मरीज की चिकित्सा व पोस्टमार्टम से किसी प्रकार का संबंध नहीं रखता है। अपीलार्थी दो सप्ताह के अंदर बीडीके अस्पताल में पीएमओ का पद संभाले, नहीं तो आदेश निरस्त माने जाएंगे। अधिकरण के आदेश के बाद डॉ. पचार ने बीडीके में पीएमओ का पद संभाल लिया। डॉ. राजवीर राव ने उन्हें कार्यभार सौंपा।