Holi Special : राजस्थान के इस शहर के मंदिर में खेली जाती है मथुरा-वृंदावन के तर्ज पर अनूठी होली
Holi Special in Rajasthan : राजस्थान के जोधपुर के प्राचीन गंगश्याम जी मंदिर में मथुरा-वृंदावन की तर्ज पर 40 दिनों तक अनूठी होली खेली जाती है। इस मंदिर में यह परम्परा करीब वर्ष 1818 से चली आ रही है।
Holi Special in Rajasthan : पूरे देश में इस वक्त होली की मस्ती छाई हुई है। रंगीला राजस्थान भी कहां किसी से पीछे है। मथुरा-वृंदावन की तर्ज पर राजस्थान के जोधपुर शहर में स्थित प्राचीन गंगश्यामजी मंदिर में एक दिन नहीं पूरे 40 दिन तक होली का त्योहार चलता है। इन दिनों भगवान कृष्ण का मंदिर रंगों से सराबोर रहता है। गंगश्यामजी मंदिर में होली का त्योहार फागुन माह की शुरुआत से लेकर रंग पंचमी तक कुल 40 दिन तक चलता है। कृष्ण भक्त और श्रद्धालु सभी अबीर-गुलाल ओर फूलों से होली खेलते हैं।
होली के दिन राधा कृष्ण से ‘होली’ खेलने को आतुर जोधपुर की जनता
राजस्थान के जोधपुर के भीतरी शहर में प्राचीन गंगश्याम जी मंदिर है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण और राधा की प्रतिमा है। वैसे तो होली शुरू हो गई है। पर होली का मुख्य दिन जैसे जैसे करीब आ रहा है, राधा कृष्ण से होली खेलने के लिए जोधपुर शहर के लोग आतुर हैं। जोधपुर की जनता इस वक्त तैयारियों में मशगूल है। होली का त्योहार, रंगों, खुशियों, मिठास और भगवान की भक्ति का त्योहार है।
परंपरा आज भी कायम
जोधपुर शहर के परकोटे में स्थित 263 वर्ष प्राचीन इस ऐतिहासिक गंगश्यामजी मंदिर की अपने आप में अनूठी धार्मिक मान्यता है। वर्ष 1818 से शुरू हुई यह परंपरा आज भी कायम है। वैष्णव संप्रदाय से जुड़े पुजारी आज भी मंदिर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
बताया जाता है कि मंदिर में बसंत पंचमी से होली आरंभ होती है। यह होली फिर रंग पंचमी तक जारी रहती है। बताया जाता है कि वर्ष 1932 में जयपुर महाराजा दिलीप सिंह जी का जन्म हुआ था। दिलीप सिंह जोधपुर राज परिवार के भांजे लगते थे। इस खुशी में जोधपुर के उस समय के महाराजा उम्मेद सिंह जी ने इस होली के उत्सव को और बढ़ाने के लिए फूलों की होली की भी शुरुआत करवाई। यह परंपरा आज भी कायम है। रंग पंचमी के दिन प्रथा के अनुसार पंड्या नृत्य भी होता है।
दहेज में मिले थे ‘श्यामजी’, राव गांगा ने मंदिर बनवाया तो बन गए ‘गंगश्यामजी’
मंदिर में प्रतिष्ठित भगवान श्याम की प्रतिमा जोधपुर नरेश राव गांगा को बतौर दहेज में मिली थी। राव गांगा (1515 से 1531) का विवाह सिरोही के राव जगमाल की पुत्री रानी देवड़ी से हुआ था। विवाह के बाद सिरोही से विदा होते समय राव जगमाल ने पुत्री की आस्था को देखते हुए कृष्ण की मूर्ति और ठाकुरजी की नियमित सेवा पूजा के लिए सेवग जीवराज को भी साथ दहेज के रूप में जोधपुर भेज दिया। पहले यह मूर्ति किले में स्थापित की गई, बाद में जूनी धान मण्डी में भव्य मन्दिर बनवाकर स्थापित की गई। राव गांगा ने यह मूर्ति स्थापित की थी इसलिए यह गंगश्यामजी के नाम से पुकारे जाने लगे।
हर साल बसन्त पंचमी से रंग पंचमी तक दोपहर 12 बजे से 2 बजे और शाम 8 से रात 10 बजे तक गुलाल से होली खेली जाती है। फाल्गुन माह में प्रतिदिन यहां 200 से 300 किलो गुलाल की खपत होती है। यहां गुलाल के साथ यहां फूलों से होली खेलने का भी आयोजन किया जाता है। रंग पंचमी के दिन यहां रंग दसे होली खेली जाएगी।