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कानपुर

“डीएम हो तो कानपुर जैसे वरना…” जो काम 7 सालों में नहीं हुआ वह 10 मिनट में हो गया

Kanpur DM कानपुर में एक महिला जिस काम के लिए पिछले 7 सालों से अधिकारियों की चौखट पर हाजिरी लगा रही थी। इस बीच कई जिलाधिकारियों से भी फ़रियाद लग चुकी थी। लेकिन काम नहीं हो पाया। महिला ने अपनी फरियाद डीएम को सुनाई। लेकिन इस बार उसकी समस्या का समाधान हो गया।

कानपुरFeb 08, 2025 / 07:42 pm

Narendra Awasthi

दिव्यांग सर्टिफिकेट देते जिलाधिकारी (फाइल फोटो)
Kanpur DM “मूंछें हो तो नात्थूलाल जैसी वरना ना हो” शराबी फिल्म में यह डायलॉग अमिताभ बच्चन ने कहा था। ‌ लेकिन किदवई नगर की रहने वाली यह महिला कानपुर के जिलाधिकारी के लिए यह अवश्य कह रही होगी कि “डीएम हो तो ऐसा वरना…”। कहे भी क्यों ना? महिला पिछले 7 सालों सेअधिकारियों की चौखट पर हाजिरी लगा रही है। कई तत्कालीन डीएम से भी फ़रियाद लग चुकी है। लेकिन सुनवाई नहीं हुई।‌ पिछले शुक्रवार को महिला ने एक बार फिर डीएम को अपनी फरियाद सुनाई। महिला की फरियाद सुनकर डीएम भी सोच में पड़ गए। उन्होंने अधिनस्थों को बुलाया और तत्काल कार्य करवाने को कहा। मामला घाटमपुर तहसील की है।
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उत्तर प्रदेश के कानपुर के किदवई नगर के ब्लॉक की रहने वाली माधवी तिवारी ने बताया कि अप्रैल 2018 में उन्होंने घाटमपुर जहांगीराबाद में धीरेंद्र नाथ तिवारी से डेढ़ बीघा जमीन खरीदी थी। बैनामा के बाद उन्होंने दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया और उनके पक्ष में आदेश भी हो गया था। लेकिन खतौनी में उनका नाम नहीं चढ़ाया गया। इस संबंध में उन्होंने घाटमपुर तहसील में कई बार प्रार्थना पत्र भी दिया। तत्कालीन जिलाधिकारियों से भी फरियाद लगाई। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

आदेश के बाद भी खतौनी में नाम नहीं चढ़ा

माधवी तिवारी ने बताया कि बीते शुक्रवार को जिलाधिकारी के सामने उन्होंने अपनी फरियाद रखी। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने माधवी तिवारी की समस्याओं को गौर से सुना और अधीनस्थ अधिकारियों से इस संबंध में पूछताछ की। उन्होंने तहसीलदार से भी सवाल किया कि आदेश के बाद खतौनी में नाम क्यों नहीं चढ़ाया जा रहा है?

काम करने को कहा

डीएम ने तहसीलदार से कहा कि आज ही यह काम होना चाहिए। माधवी ने बताया कि अभी वह घर नहीं पहुंची थी कि तहसीलदार घाटमपुर ने फोन करके बताया कि आपका नाम खतौनी में चढ़ गया है। उन्होंने कहा कि 7 साल से जिस काम के लिए भटक रही थी। वह काम इतनी आसानी से हो जाएगा। कभी सोचा नहीं था। जिलाधिकारी की प्रशंसा करते हुए उसकी आंखें नम हो गई। इसके पहले संपूर्ण समाधान दिवस में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने 10 दिव्यांग जनों को अपने हाथ से सर्टिफिकेट दिए।

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