पुस्तक साहित्य और विचारों का कुंभ है- ओम बिरला
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय व राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) की ओर से दिल्ली में पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है। कोठारी की पुस्तकों के विमोचन के अवसर पर बिरला ने कहा कि पुस्तक साहित्य और विचारों का कुंभ है। पुस्तकों को लेकर कहा कि भारतीय चिंतन को दृष्टि देना अद्भुत है। पुस्तक जीवन की साथी हैं। पुस्तकों से जीवन में नई प्रेरणा मिलती है। बिरला ने कहा कि सामाजिक सरोकारों से जुड़े कोठारी ने अपने साहित्य और विचारों से सदा ही मानव मन को प्रेरित किया है, पुस्तक मेले में उनकी दोनों कृतियां भी जनसाधारण की मेधा को समृद्ध करेंगी। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष मिलिंद सुधाकर और निदेशक युवराज मलिक ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे।
शिक्षा बदले तो भारत बन जाएगा विश्व गुरु : कोठारी
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक कोठारी ने कहा कि शिक्षा में मन और बुद्धि जुड जाएं तो भारत विश्व गुरु बन जाएगा। उन्होंने मौजूदा शिक्षा पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इससे पुरुष पौरुष भाव को बढ़ा रहा है, वह अपने स्त्रैण भाव को भूल गया है। ठीक यही स्थिति स्त्री की है, वह स्त्रैण भाव को विकसित कर रही है। इससे असंतुलन पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ही एक ऐसा देश है, जहां नारी की पूजा होती रही है। गांव-गांव में देवी का मंदिर मिल जाएगा। स्त्री के भीतर दिव्यता है। कोठारी ने कहा कि अब मां का स्वरूप बदल गया है। वह संस्कार नहीं दे पा रही है। मां को जीव के बारे में सब पता होता है। वह पिता को उसकी संतान के रूप में जन्म देती है, इससे बड़ी दिव्यता और क्या होगी कि वह ब्रह्म को विवर्त का मार्ग देती है। आज तो मां को सब डॉक्टर बता रहा है। फिर मां अपने बच्चे को संस्कारित कैसे करेगी? उन्होंने कहा कि मां को अपना स्त्रैण भाव समझना होगा।