बता दें कि करीब 15 साल तक संपत्ति देवी जैसी कई महिलाएं रोजाना खौफ में जीती थीं। इनके पति डकैत बनने को मजबूर हो गए थे। इनके पति घर से निकलने के बाद वापस लौटकर आएंगे कि नहीं, इस बात का डर उन्हें रोज सताता था।
अब आते हैं कहानी पर
लगातार सूखा और कम होती बारिश ने जमीन को बंजर बना दिया था। डर और निराशा में जी रही महिलाओं ने साल 2010 के आसपास अपने पतियों को बंदूक छोड़ने के लिए तैयार किया। भूरखेड़ा के लज्जाराम किसी समय 40 केस में आरोपी थे। कहा जाता है कि पानी और खेती के अभाव में वे डकैती बन गए थे।
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लज्जाराम को उनकी बहन ने समझाया, जिससे प्रभावित होकर उन्होंने आत्मसमर्पण किया। अब लज्जाराम करीब 10 बीघा जमीन में सरसो, चना और बाजरा उगाते हैं। साथ ही आठ भैंस भी पाल रखे हैं। ऐसा करने वाले सिर्फ लज्जाराम ही नहीं है, बल्कि कई लोग अब डकैती छोड़कर खेतीबाड़ी करने लगे हैं।
उम्मीदों ने तालाब में भरा पानी
साल 1975 से जल संरक्षण के लिए समर्पित अलवर की जल-संरक्षण संस्था तरुण भारत संघ (टीबीएस) की मदद से इन महिलाओं ने पुराने तालाबों को पुनर्जीवित किया और नए पोखर बनाए। संपत्ति देवी और उनके पति जगदीश ने दूध बेचकर हुई कमाई से एक पोखर बनवाया और उनकी जिंदगी बदल गई।
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58 साल के जगदीश कहते हैं, मैं अब तक मर चुका होता। उसने मुझे वापस आकर फिर से खेती शुरू करने के लिए राजी किया। बारिश होते ही पोखर भर गया और परिवार को साल भर के लिए पानी मिला। आज वे सरसो, गेहूं, बाजरा और सब्जियां उगाते हैं। जलाशय को सिंघाड़े की खेती के लिए किराए पर देकर वे हर सीजन में लगभग एक लाख रुपये कमाते हैं। गर्व से संपत्ति देवी कहती हैं, अब हम सरसों, गेहूं, बाजरा और सब्जियां उगाते हैं।
बीते कुछ साल में टीबीएस और स्थानीय समुदाय ने मिलकर गांव के आसपास के जंगलों में 16 पोखर बनाए, जो पहाड़ियों से बहता पानी रोकते हैं। डीजल पंप से पानी खेतों में पहुंचता है। करौली, जो कभी डकैतों के लिए कुख्यात था, अब अमन-चैन की मिसाल बन चुका है।
जल संकट का हुआ निदान
चंबल का पथरीला इलाका बारिश के पानी को तेजी से बहा देता है, जिससे यह पानी जमीन के अंदर नहीं जा पाता। करौली में सूखे के वक्त सूखे का सामना करना पड़ता है और भारी बारिश होने पर अचानक बाढ़ आ जाती है। लेकिन करौली में संरक्षण की लहर ने मौसमी नदी सेरनी को बारहमासी नदी में बदल दिया है। 10 साल पहले यह नदी दीवाली के बाद सूख जाती थी। अब गर्मियों में भी इसमें पानी रहता है और भूजल केवल पांच से 10 फीट नीचे हैं।