दूल्हन के माता-पिता नहीं थे मौजूद
इस कानून विवाह की प्रक्रिया में दुल्हन के माता-पिता नहीं थे। इस दौरान सुपरवाइजर और जिला अस्पताल की सीनियर नर्सिंग ऑफिसर रेणुका मेलुंदे ने निभाया। मेलुंदे का कहना था कि समाज में जाति का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। शादी के फंक्शन में बहुत फिजूलखर्ची हो जाती है। इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
दान दक्षिणा के माध्यम से गरीबों की हो मदद
इधर, दूल्हे हरीश ने बताया कि शादियों में जो फिजूलखर्ची होती है। वह हम अपनी शादी में नहीं करना चाहते थे। हमने सोचा कि इससे अच्छा है कि गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद की जाए।