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कोलकाता

रवि हांसदा ने निर्धनता को किक मारकर साधा लक्ष्य पर निशाना

छह वर्ष के लंबे अंतराल के बाद केरल जैसी शक्तिशाली फुटबॉल टीम को हराकर बंगाल ने 78वीं संतोष ट्रॉफी जीत ली है। फाइनल में बंगाल को यह जीत राज्य के पूर्व बर्दवान जिले के गुदरी के लाल रवि हांसदा ने दिलाई है। केरल के खिलाफ गोल दागकर बंगाल को जीत दिलाने वाले रवि पूर्व बर्दवान जिले के कटवा के गरीब आदिवासी परिवार से हैं। मां तुलसीदेवी हांसदा खेतीहर मजदूर हैं। तुलसी ने अपनी थोड़ी सी कमाई का बड़ा हिस्सा अपने बेटे रवि को फुटबॉलर बनने के सपने को साकार करने के लिए खर्च किया। बाकी पैसे में अपना गुजर-बसर करती है। पिता सुल्तान हांसदा अपने बेटे को फुटबॉलर बनाने का सपना देखते थे। रवि की राह में घोर गरीबी बाधा नहीं बनी।

कोलकाताJan 05, 2025 / 04:23 pm

Rabindra Rai

रवि हांसदा ने निर्धनता को किक मारकर साधा लक्ष्य पर निशाना

रवि हांसदा ने निर्धनता को किक मारकर साधा लक्ष्य पर निशाना

पश्चिम बंगाल को बनाया भारत की सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल टीम, गोल कर छह वर्ष बाद राज्य को दिलाया संतोष ट्रॉफी का खिताब

छह वर्ष के लंबे अंतराल के बाद केरल जैसी शक्तिशाली फुटबॉल टीम को हराकर बंगाल ने 78वीं संतोष ट्रॉफी जीत ली है। फाइनल में बंगाल को यह जीत राज्य के पूर्व बर्दवान जिले के गुदरी के लाल रवि हांसदा ने दिलाई है। केरल के खिलाफ गोल दागकर बंगाल को जीत दिलाने वाले रवि पूर्व बर्दवान जिले के कटवा के गरीब आदिवासी परिवार से हैं। मां तुलसीदेवी हांसदा खेतीहर मजदूर हैं। तुलसी ने अपनी थोड़ी सी कमाई का बड़ा हिस्सा अपने बेटे रवि को फुटबॉलर बनने के सपने को साकार करने के लिए खर्च किया। बाकी पैसे में अपना गुजर-बसर करती है। पिता सुल्तान हांसदा अपने बेटे को फुटबॉलर बनाने का सपना देखते थे। रवि की राह में घोर गरीबी बाधा नहीं बनी। आखिरकार रवि और उनके मां-बाप का सपना पूरा हुआ। हालांकि पिछले वर्ष जून में पिता सुल्तान हांसदा का निधन हो गया। तुलसीदेवी हांसदा मजदूरी कर किसी तरह परिवार चलाती हैं और रवि का खर्च भी वहन करती। स्थिति ऐसी है कि एक दिन मजदूरी करने नहीं जाने पर घर में चूल्हा भी नहीं जलेगा। फिर भी उन्होंने अपने बेटे को खेतों में काम करने के लिए नहीं भेजा, जिससे उसके प्रैक्टिस में कमी नहीं हो। तुलसीदेवी ने बताया कि रवि के पिता फुटबॉल के प्रेमी थे। वे रवि को अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी बनाना चाहते थे। अगर वे जिंदा होते तो बहुत खुश होते।

मिट्टी के कच्चे मकान में रहते हैं रवि हांसदा

पूर्व बर्दवान के कटवा स्थित मंगलकोट थाना क्षेत्र के सौता बस स्टैंड के पास बसा मुशारू आदिवासीपाड़ा है। वहीं छब्बीस साल के रवि हांसदा का मिट्टी का कच्चा घर है। वहां सौ से अधिक आदिवासी परिवार रहते हैं। संतोष ट्रॉफी पर कब्जे के बाद मुहल्ले में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। सभी रवि के आने का इंतजार में हैं। रवि के अलावा तुलसीदेवी की एक बेटी रासमणि है, जिसकी शादी हो चुकी है। सौता बस स्टैंड के पास खेल का मैदान है। आदिवासीपाड़ा मिलन संघ क्लब के इस मैदान में रवि फुटबॉल का अभ्यास करता है। क्लब के एक पदाधिकारी अंकल तंबर मुर्मु ने बताया कि रवि 6-7 वर्ष की उम्र से हमारे साथ इस मैदान पर फुटबॉल खेलता था। 12 साल की उम्र में उसे फुटबॉल कोचिंग कैंप में भर्ती कराया गया। भातार एकादश एथलेटिक्स क्लब की ओर से प्रशिक्षण दिलाया गया।

रवि ने किया संभावनाओं को साकार

भातार के एकादश एथलेटिक्स क्लब के फुटबॉल कोच मुद्रास सेडेन ने बताया कि रवि में कुछ करने की संभावनाएं देखी गई थी। रवि ने उसे साबित कर दिखाया है। 2017 में रवि का चयन अंडर-19 बंगाल टीम के ट्रायल में हुआ था। सर्विस की कप्तानी मिली। 2022 में नेशनल गेम्स में बंगाल ने जीत हासिल की। रवि ने उस प्रतियोगिता में पांच गोल दागे। इस साल भी संतोष ट्रॉफी में सबसे ज्यादा गोल करने वाला खिलाड़ी रवि हांसदा ही हैं। फाइनल मैच तक उन्होंने कुल 12 गोल किए।

बंगाल फुटबॉल के उज्ज्वल भविष्य की कामना

बंगाल की इस सफलता से राज्य सरकार खुश है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवान्न के सभागार में बंगाल टीम के सभी सदस्यों को बुलाया और उन्हें बधाई दी। ममता ने खिलाडिय़ों को बधाई देते हुए बंगाल फुटबॉल के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने बंगाल टीम के सदस्यों को प्रोत्साहित करने के लिए 50 लाख रुपए देने की घोषणा भी की। इसके अलावा उन्होंने सभी सदस्यों को जल्द नौकरी देने का वादा भी किया। इस अवसर पर आईएफए के सचिव अनिवान दत्त ने मुख्यमंत्री को उपहार दिया।

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