यह जानने का प्रयास किया कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी की हार के लिए कौन जिम्मेदार रहा? पांच घंटे तक इस विषय पर मंथन हुआ लेकिन हार के लिए जिम्मेदार नेताओं का नाम सामने नहीं आया, बल्कि पार्षदों की ओर से बताया गया कि उन्होंने हितानंद अग्रवाल के पक्ष में ही वोट किया है। एक-दो पार्षदों ने यह बताने का प्रयास किया कि अधिकृत प्रत्याशी की हार के लिए भ्रम की स्थिति जिम्मेदार रही। बात यहां तक पहुंच गई कि जांच टीम में शामिल भाजपा के एक वरिष्ठ नेता को यह कहना पड़ा कि दीवारें भी बोलती हैं और साजिश हुई है इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
हितानंद अग्रवाल की हार के बाद भाजपा में अंदरूनी कलह
सभापति पद के लिए पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल की हार के बाद भाजपा में अंदरूनी कलह मचा हुआ है। इसकी गूंज कोरबा के अलावा राजधानी रायपुर में भी सुनाई दे रही है। पार्टी के प्रत्याशी की हार क्यों हुई? इसे जानने के लिए भाजपा ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। इसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता गौरशंकर अग्रवाल, अकलतरा क्षेत्र से भाजपा नेता रजनीश सिंह और
जगदलपुर क्षेत्र से भाजपा के पदाधिकारी श्रीनवास को शामिल किया गया है। मंगलवार को तीन सदस्यीय टीम कोरबा पहुंची। दोपहर लगभग 2.30 से 2.45 बजे के बीच टीम के सदस्य ट्रांसपोर्ट नगर स्थित भाजपा कार्यालय पहुंची। टीम के सदस्यों ने पार्टी कार्यालय परिसर स्थित पुस्तकालय कक्ष में जिला कोर कमेटी के पदाधिकारियों के साथ चर्चा की।
इस बैठक में कोर कमेटी के 14 सदस्य शामिल हुए। इसमें महापौर संजू देवी राजपूत, जिलाध्यक्ष मनोज शर्मा, वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर, विकास महतो, जोगेश लांबा, संतोष देवांगन, टिकेश्वर राठिया, गोपाल मोदी, डॉ. पवन सिंह, अशोक चावलानी, ज्योतिनंद दुबे और हितानंद अग्रवाल शामिल थे। कोर कमेटी के पदाधिकारियों ने पार्टी प्रत्याशी के हार के लिए बंद कमरे में चर्चा की। इसके बाद पार्टी ने पार्षदों के साथ बातचीत किया। बातचीत के दौरान दर्री क्षेत्र से एक महिला पार्षद ने कहा कि इस बार सभापति का पद हसदेव नदी के उस पार रहने वाले लोगों को दिया जाना था लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया।
ढोढ़ीपारा क्षेत्र से पार्टी के नेता ने कहा कि चूंकि महापौर का पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित था लिहाजा
सभापति ओबीसी वर्ग से होना चाहिए था। कुछ अन्य पार्षदों ने भी सभापति पद को लेकर अपना राय दिया लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि उन्होंने हितानंद को वोट नहीं किया। सभी ने कहा कि उन्होंने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को वोट दिया था। देर रात लगभग पौने आठ बजे पार्टी की बैठक खत्म हो गई।
टीम के साथ वन-टू-वन चर्चा करने नहीं पहुंचे पार्षद
पार्टी कार्यालय में आयोजित इस बैठक में 43 पार्षद शामिल हुए। दो पार्षद नहीं आ सके। जांच टीम ने पार्षदों से कहा कि वे चाहे तो एक-एक कर भी टीम से मुलाकात कर सकते हैं लेकिन कोई भी सदस्य एक-एक कर चर्चा के लिए तैयार नहीं हुआ। टीम पार्षदों के साथ सामूहिक चर्चा ही कर सकी।
बताया जाता है कि टीम एक-एक कर पार्षदों से चर्चा करती तो इस जांच के कुछ निष्कर्ष निकल सकते थे। उन लोगों का नाम सामने आ सकता था जिन्होंने सभापति चुनाव के लिए मतदान से पहले भाजपा कार्यालय में आयोजित बैठक में हंगामा करवाया।
हंगामे के बीच दरवाजे को बाहर से बंद करने वाले लोग कौन थे? और किसके कहने पर पार्षदों से कह रहे थे कि यहां से मतदान करने अभी कोई नहीं जाएगा। चर्चा के दौरान पार्षदों ने जांच टीम को बताया कि अधिकृत प्रत्याशी को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रही लेकिन यह भ्रम की स्थिति क्यों बनी और किसने भ्रम फैलाया? वे कौन लोग थे जो पार्षदों को संदेश भेजकर कह रहे थे कि हितानंद अब अधिकृत प्रत्याशी नहीं हैं। बैठक में कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब नहीं आया।