एसीबी ब्यूरो कोटा (स्पेशल टीम) के एएसपी मुकुल शर्मा ने बताया कि परिवादी से रिश्वत मांगने के बाद सहायक वनपाल राजेंद्र मीणा ने 50 हजार रुपए सत्यापन के दौरान ही ले लिए थे। बाकी राशि भी रावतभाटा में ही दी जानी थी, लेकिन अचानक रेंजर और सहायक वनपाल ने स्थान बदल कर डीएफओ ऑफिस में लेना तय किया। इसलिए कार्रवाई में भी समय लग गया।
चित्तौड़गढ़ हेडक्वार्टर में बोराव रेंजर राजेंद्र चौधरी और लोटयाना नाका के सहायक वनपाल राजेंद्र मीणा को पकड़ा गया। जबकि महिला सहायक वनपाल पुष्पा राणावत बोराव में थी। जहां टीम को भेजकर महिला को डिटेन कर लाया गया। पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। महिला सहायक वनपाल ने भी दो प्रतिशत की मांग की थी। उसके नाम से भी पैकेट रखा हुआ था।
अलग-अलग तरह से लेते थे रुपए
रेंजर पहले मंगलवाड़ और निंबाहेड़ा रेंज में रह चुका है। अभी दो तीन महीने पहले ही रावतभाटा के बोराव में ट्रांसफर हुआ था। यहां वन विभाग की जमीन पर नरेगा मजदूरों से गड्ढे करवाए जाते थे। लेकिन रेंजर जेसीबी के जरिए गड्ढे करवाता था। इसने फर्जी फर्म बनाकर गड्ढे करने का कॉन्ट्रैक्ट भी ले रखा था। फिर एक्स्ट्रा गड्ढे करके असली ठेकेदार के मजदूरों से काम करवाकर ठेकेदार से भी रुपए ऐंठ लेता। फिर कई जगहों पर जेसीबी से गड्ढे करके उसका भी बिल उठा लेता।
मजदूरों ने भी की थी शिकायत
बोराव रेंज में तीन अलग-अलग जगहों पर 7-7 लाख के काम हुए थे। कुल 21 लाख के काम के बिल बनाने की एवज में रेंजर 20 प्रतिशत (4.20 लाख) मांग रहा था। जबकि सहायक वनपाल 2 प्रतिशत (14-14 हजार) की डिमांड कर रहे थे।