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Benefits of Drinking Water from Lota : लोटे से पानी पीने के फायदे, आंतें रहेंगी साफ, पाचन रहेगा दुरुस्त

Benefits of Drinking Water from a Lota :
पानी पीने का बर्तन भी स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, यह बात आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों मानते हैं। पुराने समय में लोटे का प्रचलन था। हमारे दादा-दादी और गांवों में आज भी लोग लोटे का उपयोग करते हैं, जिसके पीछे गहरा और वैज्ञानिक कारण है।

भारतMay 23, 2025 / 05:47 pm

Manoj Kumar

Benefits of Drinking Water from a Lota

सेहत का सीक्रेट: गिलास नहीं, लोटे से पिएं पानी (फोटो सोर्स: drdixa_healingsouls instagram)

Benefits of Drinking Water from Lota : जल यानी पानी, हमारे जीवन का मूल आधार है। यह न केवल हमें ताजगी और ऊर्जा देता है, बल्कि शरीर के अंदरूनी अंगों की सफाई में भी अहम भूमिका निभाता है। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि पानी किस बर्तन में पिया जाए, यह भी हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है? आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान, दोनों इस बात की पुष्टि करते हैं कि पानी का प्रभाव उसके भंडारण के बर्तन पर भी निर्भर करता है।
आजकल हममें से अधिकतर लोग स्टील, प्लास्टिक या कांच के गिलास में पानी पीते हैं। जबकि पुराने समय में लोटे का प्रचलन था। हमारे दादा-दादी या गांवों में आज भी लोग लोटे से पानी पीते हैं। इसके पीछे एक गहरी सोच और वैज्ञानिक कारण छिपा हुआ है।

लोटे का विशेष आकार और उसका असर Benefits of Drinking Water from Lota)

लोटा एक गोलाकार बर्तन होता है, जिसमें पानी रखने पर उसकी ऊर्जा संरचना संतुलित हो जाती है। गोल आकार का मतलब है कि बर्तन का सतही क्षेत्र (surface area) कम होता है, जिससे पानी का सरफेस टेंशन भी कम हो जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो कम सरफेस टेंशन वाला पानी शरीर में जल्दी अवशोषित होता है और आंतों की सफाई में मदद करता है। यह पानी बड़ी और छोटी आंत की अंदरूनी सतह पर जमा गंदगी को निकालने में सहायक होता है, जिससे पाचन तंत्र बेहतर होता है।
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इसके विपरीत, गिलास का आकार सीधा और सिलेंडरनुमा होता है, जिसमें पानी ऊपर से नीचे एक सीध में जमा होता है। ऐसा माना जाता है कि यह प्राकृतिक ऊर्जा के प्रवाह के लिए उतना अनुकूल नहीं होता जितना कि लोटा।

पानी बर्तन के गुण अपनाता है

आयुर्वेद में कहा गया है कि पानी अपने आप में निष्क्रिय होता है — वह जिस बर्तन में रखा जाता है, उसके गुणों को अपनाता है। उदाहरण के लिए, तांबे या चांदी के बर्तन में रखा पानी जीवाणु रहित और शुद्ध हो जाता है। इसी तरह, गोल बर्तन में रखा पानी संतुलित और ऊर्जावान माना जाता है।

लोटा बनाम गिलास: आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में यह भी बताया गया है कि भोजन और पेय पदार्थों का सेवन किस बर्तन में किया जा रहा है, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि वह क्या खा या पी रहे हैं। गिलास, जो भारत में पुर्तगालियों के आगमन के बाद लोकप्रिय हुआ, एक विदेशी अवधारणा है। लोटा, भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। कमंडल, जिसे साधु-संत इस्तेमाल करते हैं, भी लोटे के ही आकार का होता है, जो इसके महत्व को दर्शाता है।
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स्वास्थ्य लाभ

लोटे से पानी पीने की आदत शरीर को संतुलित रखने में मदद करती है। इससे आंतों की सफाई के साथ-साथ भगंदर, बवासीर और आंतों में सूजन जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है। यह एक तरह की आंतरिक सफाई प्रक्रिया है, जो धीरे-धीरे पूरे पाचन तंत्र को मजबूत करती है।
आज जब हम आधुनिकता के नाम पर अपनी पुरानी आदतों और परंपराओं को छोड़ते जा रहे हैं, तब यह जरूरी हो गया है कि हम उनके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारणों को समझें। लोटे से पानी पीना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक पद्धति है जो हमें स्वस्थ रखने में मदद कर सकती है। यह एक छोटी सी आदत है, लेकिन इसके लाभ दीर्घकालिक हैं। अगली बार जब आप पानी पिएं, तो एक बार लोटे से पीने का अनुभव जरूर लें – शायद आपकी सेहत में एक सकारात्मक बदलाव शुरू हो जाए।
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