Hospitality Industry के एक्सपर्ट बताते हैं कि होटल, पीजी और किराए के मकान का विकल्प जरूरत के हिसाब से होता है। Patrika
अगर आप अस्थायी रूप से शहर में हैं, बिना झंझट के रहना चाहते हैं और प्राइवेसी को उतनी प्राथमिकता नहीं देते तो होटल या पीजी बढ़िया ऑप्शन है। लेकिन अगर आपको स्टेबिलिटी, हेल्दी लाइफस्टाइल और पर्सनल स्पेस चाहिए तो किराए का मकान ही बेहतर है। कई बार शहरों में रहने का विकल्प चुनते समय सबसे बड़ा सवाल होता है- होटल या पीजी में रहें या फिर किराए पर मकान लें? दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं और सही विकल्प आपकी जरूरत, बजट, जीवनशैली और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। यहां हम होटल/पीजी और किराए के मकान की तुलना करेंगे ताकि आप अपने लिए सबसे उपयुक्त विकल्प चुन सकें।
कोई डिपॉजिट नहीं, तुरंत शिफ्ट हो सकते हैं : होटल या पीजी में रहने के लिए आपको सिक्योरिटी डिपॉजिट, एडवांस किराया या लंबे कागजी कामों की जरूरत नहीं होती। बस सामान उठाइए और कमरा ले लीजिए।
फर्निशिंग और बेसिक सुविधाएं पहले से मौजूद : अधिकांश होटल और पीजी में बेड, अलमारी, टेबल, टीवी, वाई-फाई, फ्रिज, माइक्रोवेव जैसी जरूरी चीजें पहले से मौजूद होती हैं। आपको अलग से फर्नीचर या इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने की जरूरत नहीं होती।
बिल और मेंटेनेंस का झंझट नहीं : बिजली, पानी, इंटरनेट, सफाई, कीट नियंत्रण, मरम्मत जैसी चीजों की चिंता करने की जरूरत नहीं होती। सबकुछ शामिल होता है।
फ्लेक्सिबिलिटी : अगर किसी कारण जगह बदलनी हो तो होटल या पीजी छोड़ना आसान होता है। कोई लीगल पेपरवर्क या नोटिस पीरियड नहीं। बस चाभी लौटाइए और निकल जाइए।
खाना, सफाई और लॉन्ड्री : कई पीजी में फूडिंग मिलती है और होटल में रूम सर्विस व डेली हाउसकीपिंग मिलती है। लॉन्ड्री की सुविधा भी शामिल हो सकती है। ये चीजें कामकाजी लोगों के लिए बड़ा सहारा होती हैं।
होटल या पीजी में रहने की सीमाएं व नुकसान
खाना पौष्टिक नहीं होता : होटल का खाना स्वादिष्ट तो होता है, पर लंबे समय तक खाने पर हाजमा खराब कर सकता है। वहीं, पीजी का खाना कई बार गुणवत्ता में समझौता करता है।
प्राइवेसी की कमी : पीजी में कई बार रूम शेयर करना पड़ता है या रूल्स बहुत सख्त होते हैं (जैसे विजिटर्स नहीं आ सकते, टाइम बाउंड एंट्री-एग्जिट)। होटल में भी प्राइवेसी सीमित होती है।
ज्यादा टाइम रहना महंगा पड़ सकता है : अगर आप कई महीनों तक होटल में रह रहे हैं तो हर दिन के हिसाब से खर्च बहुत बढ़ सकता है। वहीं पीजी की क्वालिटी और फीस भी लोकेशन के हिसाब से भिन्न होती है।
किराए के मकान के फायदे
स्थायित्व और स्वतंत्रता : किराए के मकान में आपको एक स्थायी और स्वतंत्र जीवन मिलता है। अपनी मर्जी से फर्नीचर सजाइए, रूम्स को पर्सनलाइज कीजिए, मेहमान बुलाइए। यानी कोई पाबंदी नहीं।
खुद का किचन – हेल्दी खाना : अगर आप हेल्दी लाइफस्टाइल चाहते हैं, तो किराए का मकान बेहतर है क्योंकि आप खुद का खाना बना सकते हैं।
लंबे टाइम के लिए सस्ता : अगर आप 6 महीने या उससे ज्यादा समय तक एक ही शहर में रहना चाहते हैं तो किराए का मकान होटल या पीजी की तुलना में कहीं ज्यादा किफायती साबित होता है।
सोसाइटी और पड़ोसी से जुड़ाव : अपार्टमेंट में आपको एक पड़ोस और सोसाइटी मिलती है, जिससे लोगों से मिलना-जुलना और सेफ्टी मिलती है। यह विशेष रूप से परिवार वालों के लिए उपयोगी है।
किराए के मकान के नुकसान
सिक्योरिटी डिपॉजिट और एग्रीमेंट : शुरुआत में आपको 2-3 महीने का डिपॉजिट देना होता है और लंबा लीज एग्रीमेंट साइन करना पड़ता है।
मेंटेनेंस और बिल की जिम्मेदारी : मरम्मत, सफाई, पेस्ट कंट्रोल, बिजली-पानी का बिल – सबकुछ आपको खुद संभालना होता है।
फर्नीचर और उपकरण खरीदने का खर्च : अगर मकान फर्निश्ड नहीं है तो आपको खुद सामान खरीदना होगा, जिससे शुरुआती खर्च बढ़ जाता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री से जुड़े मुदित माथुर बताते हैं कि जरूरत के हिसाब से अलग-अलग ऑप्शन हैं। अगर किया को कम टाइम और फ्लेक्सिबिलिटी चाहिए तो होटल बेस्ट है, खासतौर पर बैचलर या ट्रैवलिंग प्रोफेशनल के लिए। वहीं छात्रों या शुरुआती जॉबर्स के लिए PG सही विकल्प है, जो बजट फ्रेंडली और बेसिक सुविधा वाला होता है। अगर आपको लंबे टाम और फैमिली के साथ रहना है तो किराए का घर ही सबसे बेहतर ऑप्शन है, जहां आपको स्वतंत्रता, स्पेस और सुकून मिलेगा।