दालों की कीमतों में गिरावट का कारण
किराना व्यापारी प्रशांत ने बताया कि इस साल दलहन की फसलों की पैदावार बेहद अच्छी रही है। सरकार ने दलहन फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक किया, जिससे दलहनी फसलों का रकबा बढ़ा और पैदावार में इजाफा हुआ। गौतम, जो एक फुटकर किराना व्यापारी हैं, बताते हैं कि दो साल पहले दालों की कीमतें आसमान छू रही थीं। उस समय अरहर दाल 200 रुपये प्रति किलोग्राम के पार चली गई थी। अब वही अरहर दाल 118 रुपये प्रति किलो मिल रही है।
प्रमुख दालों के भाव में बदलाव
- अरहर दाल
- पहले: 150-165 रुपये प्रति किलो।
- अब: 118 रुपये प्रति किलो।
- गिरावट: 50 रुपये तक।
- चना दाल
- पहले: 95 रुपये प्रति किलो।
- अब: 75 रुपये प्रति किलो।
- गिरावट: 20 रुपये।
- हरी और काली उरद दाल
- कीमतों में 25 रुपये तक की गिरावट।
सरकार की नीतियों का असर
सरकार ने किसानों को दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई। समर्थन मूल्य, उन्नत बीज वितरण और सिंचाई की सुविधाओं ने किसानों को दलहन उत्पादन की ओर आकर्षित किया। इस साल की बेहतर फसल के परिणामस्वरूप बाजार में दालों की आपूर्ति बढ़ी है, और दाम नीचे आए हैं।
दालों की घटती कीमतों से उपभोक्ताओं को राहत
महंगाई के कारण लंबे समय से दालें आम जनता की थाली से गायब हो रही थीं। अब, सस्ती दालों के साथ लोग हरी सब्जियों का आनंद भी उठा सकते हैं। गृहिणी सीमा ने बताया, “कुछ महीने पहले दालें इतनी महंगी थीं कि उन्हें खरीदना मुश्किल था। अब बाजार में सस्ती दालें मिलने से बजट में काफी राहत मिली है।”
बाजार में बढ़ती मांग
दालों की कीमतों में गिरावट के बाद बाजार में मांग बढ़ गई है। किराना दुकानदारों का कहना है कि उपभोक्ता अब पहले की तुलना में अधिक मात्रा में दालें खरीद रहे हैं। आने वाले समय में स्थिति
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर फसल उत्पादन और वितरण इसी तरह बेहतर रहा, तो दालों की कीमतें स्थिर रहेंगी। हालांकि, निर्यात बढ़ने से कीमतों में कुछ उतार-चढ़ाव हो सकता है।