
नौतपा: क्यों होते हैं ये 9 दिन सबसे गर्म?
नौतपा में सूर्य का प्रभाव अधिकतम होता है। जैसे ही सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, गर्मी चरम पर पहुंचती है। इस दौरान तापमान 44-47°C तक पहुंचता है। लू चलती है जो बुजुर्गों और बच्चों के लिए जानलेवा हो सकती है। भूमि का तापमान बढ़ने से बारिश के पूर्व संकेत बनते हैं। लेकिन इस बार, पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी से नमी आने की वजह से पूरे मौसम की संरचना बदल गई है।इस बार क्या अलग हो रहा है?
तापमान: लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज में अधिकतम तापमान 38°C से ऊपर नहीं गया। पिछले 15 साल में यह पहला मौका है जब नौतपा में लू का एक भी दिन रिकॉर्ड नहीं हुआ। बारिश: पूर्वांचल और तराई बेल्ट में हल्की से मध्यम बारिश हो रही है।नौ तपा में लू नहीं चलने नुकसान क्या हो सकते हैं?

गेंहूं की कटाई के बाद सूखने में समस्या- जिन इलाकों में गेंहूं या आलू की फसल संग्रहित हो रही है, वहां बारिश नुकसानदेह हो सकती है।
कीट रोग बढ़ने का खतरा- अत्यधिक नमी से फसलों में कीट और फफूंद की संभावना बढ़ जाती है।
आखिर ऐसा हो क्यों रहा है?

एल-निनो का प्रभाव: प्रशांत महासागर में एल-निनो की स्थिति मौसम को असामान्य बना रही है।
क्लाइमेट चेंज: लंबे समय तक जलवायु परिवर्तन का असर अब नौतपा जैसे पारंपरिक मौसम चक्र पर भी दिखने लगा है।
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इस बार का नौतपा उत्तर प्रदेश के लिए सर्दियों जैसे संकेत लेकर आया है। यह बदलाव भले ही तत्काल राहत दे रहा हो, लेकिन दीर्घकालिक संकेत खतरनाक भी हो सकते हैं। मौसम का यह मिजाज इस बात की चेतावनी है कि अब पारंपरिक कृषि कैलेंडर और मौसम अनुमान दोनों को दोबारा परिभाषित करने का समय आ गया है।नौतपा के लिए बड़े-बुजुर्गों ने यह कहावत कही है
‘दोए मूसा, दोए कातरा, दोए तिड्डी, दोए ताव।दोयां रा बादी जळ हरै, दोए बिसर, दोए बाव।।’ अर्थात, पहले दो दिन हवा (लू) न चले तो चूहे अधिक होंगे। दूसरे दो दिन हवा न चले तो कातरे (फसलों को नष्ट करने वाले कीट) बहुत होंगे। तीसरे दो दिन हवा न चले तो टिड्डी दल आने की आशंका रहती है। चौथे दिन हवा न चले, तो बुखार आदि रोगों का प्रकोप रहता है। पांचवें दो दिन हवा न चले, तो अल्प वर्षा, छठे दो दिन लू न चले तो जहरीले जीव-जन्तुओं (सांप-बिच्छू आदि) की बहुतायत और सातवें दो दिन हवा न चले तो आंधी चलने की आशंका रहेगी। सरल अर्थ में अगर हम समझें तो अधिक गर्मी पड़ने से चूहों, कीटों व अन्य जहरीले जीव-जन्तुओं के अण्डे समाप्त हो जाते हैं। क्योंकि यह उनका प्रजनन काल होता है।