बकाया पर जब्त होता है मीटर
लेसा की मौजूदा प्रक्रिया के अनुसार यदि किसी उपभोक्ता के परिसर पर बिजली बिल बकाया होता है, तो विभाग उस उपभोक्ता का संयोजन ‘फोर्स पीडी’ (Permanent Disconnection) के तहत काट देता है और मीटर को जब्त कर लिया जाता है। इसके बाद तभी दोबारा कनेक्शन जारी होता है जब उपभोक्ता पूरा बकाया चुका देता है। यह प्रक्रिया उपभोक्ताओं के लिए अक्सर कठिनाई का कारण बनती है, खासकर तब जब बकाया राशि अधिक हो और एकमुश्त भुगतान करना संभव न हो।
बंगला बाजार का मामला आया सामने
हाल ही में ऐसा ही एक मामला नागरिक सुविधा दिवस पर लखनऊ मंडलायुक्त (कमिश्नर) की अध्यक्षता में आयोजित जनसुनवाई में सामने आया। बंगला बाजार क्षेत्र के एक उपभोक्ता ने शिकायत दर्ज कराई कि उसके परिसर पर ₹32,000 का बकाया होने के कारण उसे नया बिजली कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है। इस पर कमिश्नर ने तुरंत संज्ञान लेते हुए विभाग को निर्देशित किया कि उपभोक्ता से किश्तों में बकाया वसूली कर संयोजन जारी किया जाए।
अधिकारियों की बैठक में हुआ फैसला
उक्त प्रकरण में लेसा की ओर से सहायक अभियंता (मीटर अनुभाग) विवेक प्रकाश बैठक में मौजूद थे। उन्होंने बताया कि उपभोक्ता से आंशिक भुगतान करवा लिया गया है और शेष बकाया को किस्तों में जमा करने की योजना पर फाइल उच्चाधिकारियों के अनुमोदन के लिए भेज दी गई है। इससे प्रतीत होता है कि अब विभाग ऐसे मामलों में लचीलापन बरतेगा और पात्र उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करेगा।
सैकड़ों लंबित मामलों का हो सकता है समाधान
लेसा के अंतर्गत इस तरह के सैकड़ों मामले लंबित हैं, जिनमें उपभोक्ताओं के खिलाफ फोर्स पीडी की कार्रवाई के कारण कनेक्शन पुनः जारी नहीं हो पाए हैं। बंगला बाजार का यह मामला अन्य प्रकरणों के लिए एक नजीर बन सकता है, जिससे विभाग की नीति में व्यापक बदलाव की संभावना है। यदि यह दिशा अपनाई जाती है, तो लखनऊ के हजारों उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है और विभाग को भी राजस्व की वसूली अधिक प्रभावी ढंग से हो सकेगी।
आम उपभोक्ताओं को नहीं जाना पड़ेगा उच्चाधिकारियों के पास
सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि यदि इस मामले के आधार पर विभाग कोई स्थायी नीति बनाता है, तो अन्य बकायेदार उपभोक्ताओं को संयोजन पाने के लिए न तो कमिश्नर और न ही एमडी या चेयरमैन के पास व्यक्तिगत रूप से जाना पड़ेगा। उन्हें स्थानीय स्तर पर ही अपनी समस्या का समाधान मिल सकेगा।
संयोजन नीति में बदलाव की दरकार
उपभोक्ता संगठनों की भी लंबे समय से यह मांग रही है कि लेसा को संयोजन नीति में परिवर्तन करना चाहिए और बकाया मामलों में लचीलापन लाना चाहिए। कई बार उपभोक्ताओं के नाम बदले होते हैं, संपत्ति क्रय-विक्रय हो चुकी होती है, और नए मालिक के लिए पुराने बकायों का भुगतान एक कठिन जिम्मेदारी बन जाती है। यदि विभाग किश्तों में भुगतान और सत्यापन के आधार पर नए कनेक्शन देता है, तो यह व्यवस्था न्यायसंगत होगी।
विशेषज्ञों की राय
ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि विभाग को भी बकाया वसूली में मदद मिलेगी। एकमुश्त भुगतान की अपेक्षा किश्तों में भुगतान योजना अधिक व्यावहारिक और जनहितैषी मानी जा रही है। कई बार उपभोक्ता जानबूझकर भुगतान नहीं टालते, बल्कि आर्थिक तंगी के चलते वे बड़ी राशि नहीं चुका पाते। ऐसे में किश्तों की सुविधा से वे भुगतान कर सकते हैं और उन्हें फिर से बिजली मिल सकती है।
बंगला बाजार का प्रकरण लेसा के लिए एक अवसर है कि वह जनहित में संवेदनशीलता दिखाए और नीति स्तर पर बदलाव करे। यदि ऐसे सभी लंबित मामलों का समाधान इसी तर्ज पर किया जाता है, तो उपभोक्ताओं को बिजली जैसी मूलभूत सेवा से वंचित नहीं रहना पड़ेगा। साथ ही, विभाग का राजस्व भी सुरक्षित रहेगा। इस पहल से यह भी स्पष्ट होता है कि यदि उपभोक्ता अपनी बात उचित माध्यम से प्रस्तुत करें और प्रशासन सजगता दिखाए, तो समस्याओं का समाधान संभव है। यह मामला लखनऊ के लिए एक मिसाल बन सकता है।