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प्रारंभिक जीवन
शेफाली जरीवाला का नाम पंच मंजिल कहानी बोलते ही लखनऊ सांस्कृतिक मंडली में उसी तरीके प्रसिद्ध हुआ जैसे कोई रोशनी का दीप जलता है। लोक संगीत के क्षेत्र में उन्होंने अपने अनूठे अंदाज और मधुर आवाज के बल पर पहचान बनाई। बताया जाता है कि उन्होंने अपनी सांस्कृतिक यात्रा छोटे से गांव से शुरू की, जहां गायन और नृत्य की कला उन्हें विरासत के रूप में मिली थी। उनके मुखर प्रतिभा और प्रस्तुति कौशल ने उन्हें सशक्त मंचों तक पहुंचाया।मौसम हुआ सुहावना: लखनऊ में शुरू हुई झमाझम बारिश और तेज हवा, लोगों ने ली राहत की सांस
लखनऊ महोत्सव 2010: यादगार प्रस्तुति
कुछ तस्वीरें जो हमारे पास उपलब्ध हैं, वे #लखनऊ महोत्सव 2010 की उन सुनहरी यादों में से हैं, जब शेफाली ने ‘कांटा लगा’ गीत से समां बाँधा था। यह वह महोत्सव था जहाँ उन्होंने दर्शकों की तालियों और वाह-वाह के बीच सफलतापूर्वक प्रस्तुति दी थी। उस समय उनकी ऊर्जा, मंचीय अनुभव और स्वाभाविक आकर्षण ने सैकड़ों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था।बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत: किस्तों में बिल जमा कर मिलेगा नया कनेक्शन
उनकी कलात्मक यात्रा: लोक संगीत से सोनू लता तक
• लोक विधाओं का भंडारशेफाली जरीवाला ने अवधी, भोजपुरी और ब्रज भाषा की लोक परंपराओं को अपनाते हुए अनेक गीतों को अपनी आवाज़ दी। उनके लोकगीतों में गाँव-दशा, प्रेम पीड़ा, तीज-त्योहार और पर्यावरण की गाथाएँ साफ झलकती थीं। लोगों का कहना था कि उनकी आवाज़ में कुछ अलग ही मर्मस्पर्शी शक्ति थी, जो आत्मा को छू जाती थी।
शेफाली ने लखनऊ महोत्सव के अलावा कुंभ मेले, नवाबी सांस्कृतिक समारोहों, गांवों में आयोजित तहसीली मेले एवं शादियों आदि में प्रस्तुति दी। उनके कार्यक्रमों में हमेशा जुट जाते थे नृत्य मंडली, ढोलक और तबला कलाकार। उन्होंने अपनी प्रस्तुति से हमेशा स्थानीय संगीतकारों को मौका दिया और उत्साह बढ़ाया।

शेफाली केवल लोक गायिका नहीं थी; एक प्रेरक व्यक्तित्व भी थीं। उन्होंने अपना आत्मविश्वास युवा गायिकाओं में संचारित किया। अपने संगीत स्कूल के माध्यम से उन्होंने दर्जनों लड़कियों को वोकल—लोकल ट्रेनिंग दी। इससे उनकी लोकप्रियता और सम्मान में वृद्धि हुई।
कांटा लगा’ जैसी यादगार धुनें
उनकी विशेषताओं में उनका गीत ‘कांटा लगा’ प्रमुख था। इसे उन्होंने लखनऊ महोत्सव 2010 में मंचित किया, जिसे दर्शकों का बहुत प्यार मिला। गीत की मुखर प्रस्तुति के साथ-साथ उनका ग्लोबल अंदाज़ उसे ख़ास बनाता था। उनकी आवाज़ का लय, गाईकी की स्पष्टता और प्रस्तुति की शैली को दर्शक आज भी याद करते हैं। यह गीत उनके प्रति आदर और सम्मान का प्रतीक बन गया, जो अब सदैव उनके नाम से जुड़ा रहेगा।अब लखनऊ में भी दिखेगा दुबई जैसा नजारा, 42 मंजिल की इमारतों को मिली मंजूरी
अचानक और दुखद निधन, स्वास्थ्य चेतावनी की अनदेखी
शुक्रवार की रात अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। बताया गया है कि वे स्वास्थ्य चिंताओं को लेकर चिंतित थीं, लेकिन व्यस्त कार्यक्रमों की वजह से समय पर ध्यान नहीं दे पाईं। उनकी मौत की सूचना सुनकर लखनऊ के लोक-सांस्कृतिक मंडल में शोक की लहर दौड़ गई। सभी मंचों पर श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। कलाकारों ने याद किया कि उन्होंने कार्यक्रमों के दौरान न केवल गीत गाए बल्कि हँस-मज़ाक और प्रेरक भाषणों से माहौल को संजीवनी दी।कांवड़ हो या मोहर्रम, कानून तोड़ा तो होगी सख्त कार्रवाई: योगी आदित्यनाथ
परिवार, शोकाकुल जीवन, और उनकी विरासत
शेफाली के परिवार ने बताया कि वे अपनी मां, दो छोटी बहनों, एक पति और एक सात वर्षीय बेटी की ममता थी। परिवार इस अचानक चुड़ैल मौत से सदमे में है। बेटी के सामने एक अद्भुत पारिवारिक फ़्रेम का उजाड़ होना एक कसौटी भरा क्षण है। उनका परिवार कहता है, “शेफाली संगीत ही नहीं, जिंदगी की साँस थी। हर रस में महसूस होती थीं वे।” अब उनके गीत, वाद्य और प्रस्तुति उनकी धरोहर बनकर रह गई हैं।कांवड़ यात्रा को योगी सरकार बनाएगी ईको-फ्रेंडली और हाईटेक, सीएम ने दिए सख्त निर्देश
लोक कलाकारों का श्रद्धांजलि सागर
- लखनऊ महोत्सव के आयोजकों ने 2025 संस्करण में एक विशेष ‘श्रद्धांजलि सभा’ आयोजित करने का ऐलान किया है।
- उनके लोक संगीत स्कूल में बालिकाओं को अगले सप्ताह से नि:शुल्क लोक-गायकी की कक्षाएं दी जाएँगी।
- सोशल मीडिया पर #कांटालगीया श्रद्धांजलि और #RIPShefaliJariwala जैसे टैग से लाखों श्रद्धा सुमन भेजे जा रहे हैं।