भूखंड पर कब्जे का प्रयास
आईएएस अधिकारी ब्रजेश नारायण सिंह, जो वर्तमान में दिल्ली में परिवहन आयुक्त के पद पर तैनात हैं, ने बताया कि वर्ष 1997 में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) द्वारा गोमती नगर के विनीत खंड-5 में उनकी पत्नी मीनल सिंह के नाम एक भूखंड आवंटित किया गया था। आवंटन के बाद उन्होंने चारों ओर चहारदीवारी और गेट का निर्माण कराया था। हालांकि, दिल्ली और एनसीआर में तैनाती के कारण वे उस भूखंड पर निर्माण नहीं करवा सके।
फर्जीवाड़ा और कब्जे की साजिश
पांच महीने पहले, पड़ोसी ने सूचना दी कि कुछ लोग स्वयं को एलडीए अधिकारी बताकर उनकी जमीन की चहारदीवारी का एक हिस्सा तोड़ रहे हैं, पेड़ काट रहे हैं और जमीन समतल कर रहे हैं। जब उन्होंने एलडीए अधिकारियों से संपर्क किया, तो पता चला कि ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बाद में, अमित भटनागर नामक व्यक्ति ने उनसे संपर्क कर भूखंड की बिक्री के बारे में बात की, जिससे उन्हें संदेह हुआ। उन्होंने तुरंत वहां जाकर पुनः चहारदीवारी का निर्माण कराया और स्पष्ट किया कि यह जमीन बिक्री के लिए नहीं है। साजिश का खुलासा
11 फरवरी को, उन्हें फिर से सूचना मिली कि चहारदीवारी तोड़ी गई है और जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। मौके पर पहुंचने पर, धनंजय सिंह नामक व्यक्ति मिला, जिसने बताया कि अविनाश सिंह सिंकू के कहने पर यह काम हो रहा है। जांच में पता चला कि फैजाबाद निवासी शक्ति सिंह ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर इस जमीन को खरीदने का प्रयास किया है। पूरी साजिश सपा के पूर्व एमएलसी उदयवीर सिंह के दिल्ली स्थित आवास पर रची गई थी।
कानूनी कार्रवाई
परिवहन आयुक्त ने गोमतीनगर थाने में उदयवीर सिंह, शक्ति सिंह, अविनाश सिंह सिंकू, एलडीए के अधिकारी और कर्मचारियों समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। इंस्पेक्टर राजेश त्रिपाठी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे उच्च पदस्थ अधिकारियों की संपत्तियों पर भी अवैध कब्जे की साजिशें रची जा सकती हैं। इस मामले में सपा के पूर्व एमएलसी और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों की संलिप्तता ने इसे और गंभीर बना दिया है। पुलिस और प्रशासन की तत्परता से कार्रवाई से उम्मीद है कि दोषियों को जल्द ही न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।