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लखनऊ

UP में शराब की दुकान खोलने की प्रक्रिया अब हुई आसान, Yogi सरकार ने शुरू किया ई-लाटरी आवेदन का नया तरीका

Liquor Policy 2025: उत्तर प्रदेश में शराब और भांग की दुकानों के लिए नई आबकारी नीति के तहत आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत, 60000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य।

लखनऊFeb 18, 2025 / 12:37 am

Ritesh Singh

UP Excise Liquor Shop Application

UP Excise Liquor Shop Application

 UP Excise Liquor Shop Application:  उत्तर प्रदेश में नई आबकारी नीति के तहत शराब और भांग की दुकानों के लिए ई-लाटरी की आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस नई व्यवस्था में आम आदमी भी अब आवेदन कर सकता है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस नीति को लागू कर राज्य में शराब व भांग की दुकानों के संचालन के तरीके को और अधिक पारदर्शी बना दिया है। इसके तहत आवेदन करने वाले व्यापारी आबकारी विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण करके आवेदन कर सकते हैं।
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आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह के अनुसार, इस प्रक्रिया के अंतर्गत आवेदन करने के लिए सभी आवेदकों को आवश्यक आयु सीमा, आवेदन शुल्क और अन्य शर्तों का पालन करना होगा। केवल 21 वर्ष से अधिक आयु के लोग इस आवेदन प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं। पंजीकरण और आवेदन की प्रक्रिया आबकारी विभाग के ऑनलाइन पोर्टल exciseelotteryup.upsdc.gov.in पर उपलब्ध है। इस ई-लाटरी प्रक्रिया से राज्य सरकार का लक्ष्य 60000 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्रित करने का है।
 UP Excise Liquor Shop Application

नई आबकारी नीति में प्रमुख बदलाव

उत्तर प्रदेश की नई आबकारी नीति में शराब और भांग की दुकानों की ई-लाटरी प्रणाली को लागू किया गया है। राज्य में 27,308 शराब और भांग की दुकानों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके तहत, सभी इच्छुक व्यवसायी इस लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से दुकान खोलने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे पहले, शराब की दुकानों के आवंटन का तरीका अधिक पारंपरिक था, जिससे कुछ कारोबारियों के लिए यह प्रक्रिया मुश्किल हो जाती थी। अब सरकार ने इसे सरल और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया है।
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इस नई व्यवस्था में एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि दुकान के अनुज्ञापियों को अब नवीनीकरण का विकल्प भी दिया जाएगा, जो अगले 6 वर्षों तक वैध रहेगा। इस निर्णय से कारोबारियों को व्यवसाय जारी रखने में मदद मिलेगी और उन्हें अपनी दुकान के अनुज्ञा पत्र के लिए हर साल फिर से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी।

शराब की दुकान के लिए शुल्क और अन्य शर्तें

नई नीति के तहत, राज्य में शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस फीस में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इस बढ़ोतरी के बाद, शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस शुल्क में बदलाव किया गया है। देशी शराब की दुकानों के लिए आवेदन शुल्क 40,000 से 65,000 रुपये के बीच होगा, जबकि कम्पोजिट दुकानों के लिए यह शुल्क 55,000 से 90,000 रुपये तक रहेगा। मॉडल शॉप के लिए आवेदन शुल्क 60,000 से 1,00,000 रुपये तक होगा, और भांग की दुकानों के लिए शुल्क 25,000 रुपये निर्धारित किया गया है।
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इसके अलावा, शराब व्यापारी, खासकर छोटे व्यापारियों के पास जो फरवरी और मार्च का कोटा बचा हुआ है, वे इस अवसर का उपयोग अपने स्टॉक को खत्म करने के लिए कर सकते हैं। नई नीति में किए गए बदलाव के कारण, व्यापारियों के लिए अपनी दुकान का संचालन करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप शराब की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
 UP Excise Liquor Shop Application

नई नीति का असर छोटे व्यापारियों पर

नई आबकारी नीति के तहत, जहां एक ओर व्यापारियों को अधिक अवसर मिलेंगे, वहीं दूसरी ओर यह नीति छोटे व्यापारियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। सरकार ने प्रदेश में पहली बार अंग्रेजी शराब, बीयर और वाइन की कंपोजिट दुकानों के संचालन की अनुमति दी है। इससे बड़े व्यापारियों को लाभ होगा, लेकिन छोटे व्यापारी अपने कारोबार में प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकते हैं। उनका कारोबार बंद होने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है, जिससे बाजार में शराब की कीमतें कम हो सकती हैं।

राजस्व लक्ष्यों की ओर एक कदम और

राज्य सरकार ने नई नीति के तहत अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 में 60,000 करोड़ रुपये के राजस्व एकत्र करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य शराब की दुकानों का संचालन अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाना है, ताकि राज्य को ज्यादा से ज्यादा राजस्व प्राप्त हो सके। इसके साथ ही, प्रदेश में शराब के वितरण में सुधार और नियमितता भी लाई जा सकेगी।
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नई आबकारी नीति के तहत शराब और भांग की दुकानों के लिए ई-लाटरी आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत उत्तर प्रदेश में शराब व्यापार को एक नई दिशा दे सकती है। इस नीति से व्यापारियों के लिए नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं, वहीं कुछ छोटे व्यापारी संभावित रूप से इससे प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही, सरकार का लक्ष्य 60,000 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र करना भी राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर दोनों होगा।

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