अगले चार दिनों तक प्रचंड गर्मी का कहर, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
आंकड़ों में उत्तर प्रदेश की सड़क दुर्घटनाएं
1 . जनवरी से मई 2025 तक- कुल दुर्घटनाएं: 13,000+
- मौतें: 7,700+
- कुल सड़क हादसे: 46,052
- मौतें: 24,118
- घायल: 34,665
- हादसे: 44,534
- मौतें: 23,652
- घायल: 31,098
कौन-से समय सबसे अधिक घातक
रिपोर्ट में बताया गया कि सभी दुर्घटनाओं में से 60% से अधिक अपराह्न और शाम के समय में हुईं। सबसे गंभीर स्थिति निम्नलिखित समय खंडों में देखी गई:समय अवधि | दुर्घटनाएं | मौतें | मुख्य कारण |
अपराह्न (12PM–6PM) | 4,352 | 2,238 | तेज गर्मी, थकान, गति |
शाम (6PM–9PM) | 3,254 | 1,945 | ऑफिस के बाद जाम, दृश्यता की कमी |
सुबह (6AM–12PM) | 2,629 | 1,447 | ऑफिस/स्कूल ट्रैफिक |
रात (9PM–3AM) | 2,585 | 1,699 | तेज गति, थकान, खाली सड़कें |
तड़के (3AM–6AM) | 506 | 392 | मृत्यु दर 77% – सबसे अधिक |
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प्रमुख कारण – चालक की थकान और नींद की कमी
रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटनाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण वाहन चालकों की थकान और नींद की कमी है। विशेष रूप से लंबे सफर करने वाले या वाणिज्यिक वाहन चलाने वाले ड्राइवर इस समस्या से ज्यादा प्रभावित होते हैं।- गर्मी के मौसम में दोपहर के वक्त थकावट जल्दी होती है।
- नींद पूरी न होने पर चालक की प्रतिक्रिया क्षमता घट जाती है।
- थकावट और ध्यान भटकने से वाहन की गति और नियंत्रण पर असर पड़ता है।
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सुझाव और सिफारिशें – समाधान की दिशा में कदम
उत्तर प्रदेश सरकार के सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कई ठोस सुझाव दिए गए हैं: 1 . संवेदनशील समय में पुलिस तैनाती और अभियान- अपराह्न और शाम के समय विशेष अभियान चलाना।
- अधिक ट्रैफिक वाले क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती।
- स्पीड डिटेक्टर और ऑटोमैटिक चालान प्रणाली।
- ट्रैफिक उल्लंघनों की वास्तविक समय में पहचान।
- दुर्घटनास्थल पर एंबुलेंस की त्वरित पहुंच।
- दुर्घटना के समय रास्ता साफ करने की व्यवस्था।
- देर रात सफर करने वालों के लिए विश्राम क्षेत्र।
- 24×7 हेल्पलाइन और नौपरिवहन सहायता।
- राजमार्ग पर विशेष जांच चौकियां।
- ड्राइवरों की थकावट का मूल्यांकन।
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मुख्यमंत्री का लक्ष्य और राज्य की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों को 50% तक कम करने का लक्ष्य घोषित किया है। यह लक्ष्य तभी संभव है जब राज्य, प्रशासन, और आम जनता मिलकर सहयोग करें।- स्कूलों और ऑफिसों में रोड सेफ्टी शिक्षा देना जरूरी है।
- आम नागरिकों को भी जागरूक होकर यातायात नियमों का पालन करना होगा।
- वाहन निर्माता कंपनियों को भी तकनीकी सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।
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सड़क सुरक्षा ,एक सामूहिक जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या केवल आंकड़े नहीं, बल्कि हजारों परिवारों का टूटना है।जब तक हम थकावट, नींद की कमी, तेज गति और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी को नजरअंदाज करते रहेंगे, तब तक सड़कें असुरक्षित ही रहेंगी। सरकार, ट्रैफिक विभाग, ड्राइवर, और आम जनता – सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि सड़कें सुरक्षित बनें और अनमोल जीवन बचाया जा सके।“सुरक्षित सफर ही सुखद सफर है।”