Women Empowerment: महिलाओं की सलाह से बदलेंगे यूपी के शहर: अमृत-दो योजना में महिला सहभागिता से होगा समग्र शहरी विकास
Urban Development & Women Participation: उत्तर प्रदेश सरकार अब शहरी विकास की योजनाएं महिलाओं के सुझावों पर आधारित बनवाएगी। अमृत-दो योजना के तहत 24,000 करोड़ की परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। सरकार का मानना है कि जल, पार्क और घरेलू सुविधाओं के मामले में महिलाएं अधिक व्यावहारिक और अनुभवी सुझाव दे सकती हैं।
महिलाओं की सलाह से संवरेंगे शहर, विकास योजनाओं में पहली बार मिलेगा सक्रिय योगदान
Women to Shape Urban Development in UP: उत्तर प्रदेश के शहर अब केवल सरकारी दफ्तरों की फाइलों या इंजीनियरों की रिपोर्ट के आधार पर नहीं बनेंगे। अब उनकी सूरत महिलाओं की सलाह और अनुभव से संवरी जाएगी। राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक और संवेदनशील पहल करते हुए महिलाओं की भागीदारी को विकास योजनाओं का अहम हिस्सा बनाने का निर्णय लिया है। यह कदम न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि स्थायी और व्यावहारिक शहरी विकास की बुनियाद भी मजबूत करेगा।
उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार की AMRUT 2.0 (अमृत-दो) योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में करीब 24,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं लागू की जाएंगी। इनमें जलापूर्ति, सीवरेज, जल निकासी, हरित क्षेत्र (पार्क) और अन्य नागरिक सुविधाएं शामिल हैं। इस योजना में केंद्र सरकार द्वारा 8161 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की जा चुकी है। पिछले दिनों मुख्य सचिव द्वारा अमृत-दो परियोजनाओं की समीक्षा के दौरान नगर विकास विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि महिलाओं की राय शहरी जीवन की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझने में सहायक होगी।
महिलाएं क्यों है बेहतर सलाहकार
महिलाएं घर के प्रबंधन, बच्चों की देखभाल, पानी के उपयोग और पार्क जैसी सुविधाओं का सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष उपयोग करती हैं। सरकार का मानना है कि:
महिलाएं जलापूर्ति की जरूरत और वितरण समय के बारे में अधिक व्यावहारिक सुझाव दे सकती हैं।
उन्हें पता होता है कि कितने घंटे पानी मिलने से घरेलू कामकाज सहज रूप से निपटाया जा सकता है।
पार्कों की डिज़ाइन, साफ-सफाई, सुरक्षा और बच्चों के खेलने के स्थान के बारे में उनके पास मूल्यवान अनुभव होते हैं।
सुरक्षित स्ट्रीट लाइटिंग, सार्वजनिक टॉयलेट्स और महिला केंद्रित सेवाओं के बारे में भी महिलाएं वास्तविक ज़रूरतें बता सकती हैं।
शहरों के विकास में अब महिलाएं बनेंगी भागीदार
राज्य सरकार ने तय किया है कि सभी नगरीय निकायों में वार्ड स्तर पर मोहल्ला समितियों की बैठकें आयोजित की जाएंगी। इनमें जनप्रतिनिधियों के साथ स्थानीय महिलाओं को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाएगा।
प्राथमिकता वाले मुद्दों को महिलाओं की नजर से समझना।
विकास की योजनाओं को स्थानीय जरूरतों से जोड़ना।
सुझावों के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट को शासन के पास भेजना।
यह बदलाव लाएगा समावेशी विकास
महिलाओं की भागीदारी से मिलने वाले सुझाव न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समुदाय के लिए बेहतर और समावेशी ढांचा प्रदान करेंगे। यह पहली बार होगा जब सरकारी योजनाओं में महिलाओं की सलाह को नीति निर्धारण स्तर पर इतनी प्राथमिकता दी जा रही है।
यह प्रक्रिया:
नीचे से ऊपर (Bottom-Up) मॉडल को अपनाती है।
आम जनता को फैसले लेने की प्रक्रिया में साझीदार बनाती है।
केवल ‘विकास’ नहीं बल्कि समझदारी भरा विकास सुनिश्चित करती है।
नगर विकास विभाग इस योजना के अंतर्गत महिला समूहों, सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (SHGs), स्कूल/कॉलेज की शिक्षिकाओं और समाजसेवियों को इन बैठकों में आमंत्रित करेगा। इनकी राय दर्ज कर विशेष सुझाव रजिस्टर में रिकॉर्ड किया जाएगा।
महिला सुझावों के आधार पर
योजनाओं का रिव्यू किया जाएगा।
आवश्यकता अनुसार संशोधन या पूरक योजना तैयार होगी।
योजनाओं के कार्यान्वयन के बाद फीडबैक प्रक्रिया से उनकी संतुष्टि जांची जाएगी।
यह फैसला यह दर्शाता है कि सरकार अब केवल प्रोजेक्ट-आधारित दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि समाज-केंद्रित रणनीति पर काम कर रही है। इससे एक ओर महिलाओं को सम्मानजनक भागीदारी मिलेगी, वहीं योजनाएं स्थानीय जरूरतों के ज्यादा करीब होंगी। मुख्य सचिव ने कहा कि “महिलाओं की समझ, अनुभव और दृष्टिकोण का विकास कार्यों में सीधा लाभ मिलेगा। यह न केवल महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को बढ़ाएगा बल्कि पूरे शहरी ढांचे को भी संवेदनशील बनाएगा।”
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