जिले के सबसे बड़े जलाशय कोडार में वर्तमान में केवल 11 फीट ही पानी है। केशवा जलाशय में भी लगभग 21 फीट पानी है। इस वर्ष किसानों ने रबी फसल के लिए पानी देने की भी मांग की थी, लेकिन जलाशयों में पानी कम होने के कारण रबी फसल के लिए पानी नहीं दिया गया।
CG News: जलाशय में 11 फीट ही पानी बचा
शहर से नजदीक बेमचा जलाशय एक माह पूर्व ही सूख गया था। जिला मुख्यालय के ही आस-पास के गांवों में निस्तारी का संकट है। इसके अलावा आस-पास के वन्य जीव भी पानी की तलाश में भटक रहे हैं। गर्मी के सीजन में भालू व अन्य पशु भी आबादी क्षेत्रों की ओर बढ़ने लगते हैं।
ग्रामीण जो लघु वनोपज एकत्रित करने जाते हैं, उन्हें भी खतरा रहता है। महासमुंद विकासखंड के ज्यादातर बांधों में पहले से ही जलस्तर काफी कम है। परसदा ओर बेलटुकरी में भी पानी कम है। एक दिन पूर्व ही पूर्व विधायक विनोद चंद्राकर ने भी पानी छोड़ने के लिए मांग की।
अधिकारियों का कहना है कि पानी छोड़ने को लेकर पहले विभाग की बैठक होगी, उसके बाद भी निस्तारी के लिए पानी छोड़ने का लेकर निर्णय लिया जाएगा।
कोड़ार के पानी 70 तालाब भरते हैं
प्रतिवर्ष लगभग 70 तालाबों को कोडार बांध के पानी से भरा जाता है। कोड़ार बांध के आसपास के गांवों के ज्यादातर तालाबों को कोडार बांध से निस्तारी के लिए पानी दिया जाता है। कलेक्टर बंगले के पास स्थित तालाब सूख गया है। वहीं बरोडाबाजार गांव के तालाब का भी जल स्तर काफी कम हो गया है। गर्मी में सूख जाते हैं शहर के तालाब
महासमुंद शहर में ही गुड़रूपारा और शीतला तालाब के आस-पास रहने वाले लोगों को निस्तारी की समस्या होती है। प्रतिवर्ष यह तालाब सूखने की कगार पर पहुंच जाते हैं। इसे भरने के लिए अब तक कोई योजना भी नहीं बनाई गई है। केवल बारिश के पानी से ही तालाब भरते हैं। दर्री तालाब का जलस्तर भी घटने लगा है।
खड़ी फसल पर भी असर
रबी सीजन में धान की फसल लेने वाले ज्यादातर संपन्न किसान हैं। बोर के माध्यम से फसलों की सिंचाई कर रहे हैं। वहीं ऐसे किसान जिनके पास संसाधन नहीं है, उनकी खड़ी फसल प्रभावित हो रही है। गर्मी बढ़ जाने के कारण नलकूप का जलस्तर कम होने से
किसानों की मुश्किल बढ़ गई हैं। हैंडपंप भी सूखने लगे हैं।