Premanand Maharaj Padyatra: वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज बड़े हादसे से बचे, लोहे का स्वागत द्वार गिरते-गिरते रुका, मची अफरा-तफरी
Premanand Maharaj Accident: संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा के दौरान भीड़ के दबाव में लोहे का भारी ट्रेस संत के सामने गिरने लगा, लेकिन समय रहते आयोजकों और श्रद्धालुओं ने स्थिति संभाली। प्रशासन पर उठे सुरक्षा के सवाल।
Premanand Maharaj Padyatra Update: वृंदावन में बुधवार की रात उस समय हड़कंप मच गया, जब संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा के दौरान एक भारी लोहे का स्वागत ट्रेस भीड़ के दबाव में अचानक गिरने लगा। यह ट्रेस संत प्रेमानंद के ठीक सामने था और यदि वह गिर जाता तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। भगवान की कृपा और मौके पर उपस्थित आयोजकों की सतर्कता से यह घटना टल गई। ट्रेस को गिरने से पहले ही वहां मौजूद सेवादारों और श्रद्धालुओं ने थाम लिया। संत और साथ चल रहे भक्तों को किसी प्रकार की शारीरिक क्षति नहीं हुई, लेकिन कुछ क्षणों के लिए वहां अफरा-तफरी मच गई।
संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा वृंदावन की गलियों से होते हुए केली कुंज आश्रम तक जाती है। इस पदयात्रा का आयोजन श्रद्धालु पूरे वर्ष बेसब्री से करते हैं। इस बार 30 मार्च को महाराज जी का जन्मोत्सव हिंदू नववर्ष के दिन मनाया गया था। इस अवसर पर देशभर से आए करीब 2 लाख भक्तों ने श्री हरिवंश-राधे नाम का कीर्तन करते हुए रंगोली, पुष्प वर्षा और आतिशबाजी के साथ पदयात्रा का स्वागत किया। यात्रा मार्ग को लगभग दो किलोमीटर तक फूलों से सजाया गया। 10 क्विंटल से अधिक गेंदे और गुलाब के फूल सड़क पर बिछाए गए थे। श्रद्धालु भक्ति में ऐसे डूबे थे कि पदयात्रा के दौरान “राधे-राधे” की गूंज वातावरण को भक्तिमय बना रही थी।
महाराज जी की पदयात्रा जब स्वागत द्वार के पास पहुंची, तभी वहां भीड़ का दबाव बढ़ गया। इसी दौरान लोहे से बना भारी ट्रेस अचानक असंतुलित होने लगा। ट्रेस संत के सामने गिरने लगा, लेकिन आयोजकों और भक्तों की तत्परता से वह जमीन तक गिरने से पहले ही थाम लिया गया। यह दृश्य देखकर कुछ समय के लिए वहां भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। लोग इधर-उधर दौड़ने लगे, लेकिन आयोजकों और पुलिस कर्मियों ने स्थिति पर तुरंत नियंत्रण पा लिया।
घटना के बाद संत प्रेमानंद महाराज ने खुद भक्तों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा:
“ये परम कृपा है कि कोई हानि नहीं हुई। जहां भक्ति है, वहां शांति और श्रद्धा का भाव बना रहना चाहिए।”
उनके इस संदेश से भक्तों का मन शांत हुआ और पदयात्रा सुचारू रूप से आगे बढ़ी।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस घटना के बाद प्रशासन और आयोजन समिति की तैयारियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे भव्य आयोजनों में भारी भीड़ की संभावना होती है और इस हिसाब से मजबूत संरचना और तकनीकी सुरक्षा उपाय ज़रूरी हैं। श्रद्धालुओं ने मांग की है कि भविष्य में इस तरह के कार्यक्रमों के लिए स्थानीय प्रशासन और आयोजकों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए।
2 मई को केली कुंज आश्रम की ओर से एक आधिकारिक सूचना जारी की गई थी जिसमें बताया गया कि पूज्य प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य अनुकूल नहीं है। इसलिए उन्होंने कुछ समय के लिए रात्रिकालीन पदयात्रा स्थगित कर दी है। भक्तों से अनुरोध किया गया कि वे रात्रि में दर्शन के लिए मार्ग पर एकत्र न हों। सेवादारों ने सड़क किनारे खड़े भक्तों से कहा कि महाराज जी की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए यात्रा नहीं होगी। इससे कई भक्त बिना दर्शन किए निराश होकर लौट गए।
भक्ति मार्ग चैनल और केली कुंज आश्रम की सोशल मीडिया पोस्ट में भी यह सूचित किया गया कि रात्रिकालीन यात्रा कुछ समय के लिए स्थगित की गई है। आश्रम की ओर से भक्तों से संयम रखने और स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करने की अपील की गई।
भक्ति और आस्था का पर्व
30 मार्च को जन्मदिन समारोह के दौरान वृंदावन में आस्था का सैलाब देखने को मिला था। लोगों ने सड़कों पर फूल बिछा दिए थे और जगह-जगह भजन-कीर्तन हो रहे थे। प्रेमानंद महाराज ने तड़के 2 बजे श्रीकृष्णम शरणम् सोसाइटी से पदयात्रा शुरू की और दो किलोमीटर का सफर तय कर केली कुंज आश्रम पहुंचे थे।
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