गोपियों का रूप धारण कर होली खेलती हैं विधवा माताएं
यह आयोजन बेहद खास था क्योंकि पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण अपनी बांसुरी के साथ गोपियों के संग होली खेलने के लिए वृंदावन आते हैं। इस अवसर पर विधवा माताएं गोपियों का रूप धारण करके होली खेलती हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और आज भी इसे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। वृंदावन के मैत्री आश्रम में आयोजित इस होली कार्यक्रम में दूर-दूर से आए सैकड़ों लोग शामिल हुए। फूलों से सजी होली ने कार्यक्रम में शामिल माताओं और श्रद्धालुओं के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ा दी। पूरे साल इस दिन का इंतजार करती हैं माताएं
होली खेलते हुए माताएं खुश और उल्लसित नजर आईं। उनके चेहरों पर वह खुशी साफ दिखाई दे रही थी जो उनके लिए इस दिन को खास बनाती है। इस आयोजन के दौरान हर कोई एक-दूसरे पर गुलाल और फूलों की बौछार करता दिखा, जिससे वातावरण में आनंद और उल्लास का माहौल बन गया। विधवा माताओं के लिए यह पर्व बहुत मायने रखता है। वह पूरे साल इस दिन का इंतजार करती हैं, ताकि भगवान श्री कृष्ण के साथ होली खेल सकें।
सफेद वस्त्र छोड़कर खेली गई होली
इस दिन माताएं अपने सफेद वस्त्र छोड़कर रंगों के साथ बच्चों की तरह फूलों के साथ होली खेल रही हैं। आज लग रहा कि हमारी मेहनत और सेवा सफल हो रही है। यहां 85 माताएं मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि 100 माताओं के यहां रहने की कैपेसिटी है।