ट्रायबल छात्रावासों के संचालन के नाम पर फर्जीवाड़ा, अधिकारी बोले: नहीं हैं जादुई छड़ी
– छात्रावासों में नहीं हैं सर्दी के पर्याप्त इंतजाम, सिर्फ कंबल वह भी फटे, पुराने
– एक बिल्डिंग में तीन छात्रावास, डेढ़ सौ में से मात्र 10 से 15 छात्र हैं छात्रावास में, खर्चा 150 का
– टी एल की बैठक में कलेक्टर के लगातार निर्देश के बाद भी छात्रावासों के नहीं सुधरे हालात
फायरिंग
मुरैना. शासन द्वारा संचालित अनुसूचित जाति जनजाति के छात्रावासों के संचालन के नाम पर बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। जिले में भर में 69 छात्रावास संचालित हैं सर्दी के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। सुविधाओं के नाम पर जिम्मेदारों द्वारा सिर्फ औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। प्रभारी जिला संयोजक कह रहे हैं कि कोई जादुई छड़ी थोड़े ही है जो एक साथ विकास हो जाए, टीम वर्क से काम कर रहे हैं। ट्रायबल के छात्रावासों की स्थिति यह है कि जहां 150 छात्र दर्ज हैं, वहां पर एक चौथाई भी छात्र उपस्थित नहीं हो रहे फिर भी व्यवस्थाओं पर खर्च पूरे 150 का ही किया जा रहा है। शहर से सटे डोमपुरा में बनाई गई तीन मंजिला शासकीय बिल्डिंग में तीन छात्रावास जिसमें गांधी कॉलोनी, न्यू हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, नैनागढ़ रोड के सीनियर बालक छात्रावास संचालित हैं। प्रत्येक छात्रावास में 50 छात्र के मान से इस बिल्डिंग में 150 छात्र होना चाहिए और भोजन व्यवस्था भी पूरे छात्रों के मान से की खर्च में डाली जा रही हैं। लेकिन यहां शनिवार व सोमवार को सिर्फ 10 से 15 छात्र उपस्थिति रहे। नियमानुसार तीनों छात्रावासों के अधीक्षकों को परिसर में निवास करना चाहिए लेकिन अक्सर अधीक्षक आफिस कार्य के बहाने गायब रहते हैं। इन छात्रावासों की व्यवस्थाओं को दुरस्त किया जा सकता है लेकिन विभागीय जिम्मेदारों की अधीक्षकों से सांठगांठ के चलते होस्टलों में मनमानी हो रही है। टीएल की बैठक में कलेक्टर कई बार व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दे चुके हैं, उसके बाद भी छात्रावासों में व्यवस्थाएं नहीं सुधर सकी हैं।
फटे गद्दे, पतले व पुराने कंबल, कैसे हो सर्दी से बचाव तीनों होस्टलों के कक्षों में फटे गद्दे पड़े थे, सर्दी से बचाव के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। एक-एक कंबल वह भी पुराना था, जिससे सर्दी से बचाव संभव नहीं हैं। छात्रावास की बिल्डिंग खेतों के बीच होने पर छात्रों को सर्दी भी ज्यादा लगती है। वहीं बाथरूम में नहाने की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं होने से इस सर्दी में छात्र खुले में नहाने को मजबूर हैं।
तीन होस्टलों का एक ही किचिन में बनता है भोजन गांधी कॉलोनी, न्यू हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, नैनागढ़ रोड के छात्रावासों का एक किचिन में भोजन बनता है। हालांकि रसोइया, किचिन व अन्य व्यवस्थाएं अलग- अलग हैं लेकिन छात्रों की संख्या कम होने पर जमीनी तल पर स्थित रसोई में खाना बनता है। वहीं बिल्डिंग पर बोर्ड भी सिर्फ न्यू हाउसिंग बोर्ड के छात्रावास का ही लगा है। अन्य छात्रावासों का संचालन गुपचुप तरीके से कागजों में किया जा रहा है।
होस्टलों से गायब है मैन्यु चार्ट शासन स्तर से होस्टलों में पूरे सात दिन का मैन्यु चार्ट तय किया गया है। लेकिन होस्टल के जिम्मेदारों ने दीवारों पर कहीं चार्ट लगाया नहीं हैं तो कहीं गायब कर दिया है। अगर चार्ट इसलिए हटा दिया है कि अगर कोई आएगा तो चार्ट सामने दिखेगा और छात्र भी मैन्यु देखकर शिकायत करेंगे। इसलिए मनमानीपूर्वक वहीं पतली दाल व सब्जी छात्रों को दी जा रही है।
ये कमियां भी हैं छात्रावासों में डोमपुरा में एक ही बिल्डिंग में संचालित तीनों छात्रावासों में शौचालय और कमरों के किबाड़ों में कुंडी नहीं हैं। शौचालय व बाथरूम के नल टोंटी टूटी हुई हैं। कमरों के बाहर गैलरी में बल्ब व ट्यूबलाइट नहीं हैं, तार व बोर्ड टूटे पड़े हैं। अलमारियों के लॉक टूटे हुए हैं। कमरों के अंदर पर्याप्त प्रकाश न होने से छात्रों को पढ़ाई में परेशानी होती है। बिल्डिंग कई जगह से जर्जर हो रही है।
इधर… एक्सीलेंस होस्टल शराब पार्टी करने से रोका तो किए फायर सिद्ध नगर में संचालित एक्सीलेंस होस्टल ेमें असमाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। यहां छात्र व स्टाफ पूरी तरह असुरक्षित है। रविवार की रात 11 बजे आधा दर्जन से अधिक असमाजिक तत्व होस्टल के अंदर घुस गए। वहां शराब पार्टी कर रहे और जुआ खेल रहे थे, जब अधीक्षक ने उनको रोका तो उन्होंने फायर कर दहशत फैलाई। रात को 100 डायल को फोन किया तो आई नहीं। लेकिन असमाजिक तत्वों पर कहीं से सूचना आ गई और वह भाग गए। रात 12 बजे फिर से आ गए और उन्होंने हंगामा किया। होस्टल के अधीक्षक बी एम सर्जन से सिटी कोतवाली में आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है और कहा है कि होस्टल के अंदर कर्मचारियों की फैमिली रहती है, इसलिए सुरक्षा को देखते हुए कार्रवाई की जाए। कथन
पिछले डेढ़ साल में छात्रावासों में काफी सुधार हुआ है। एक दम से कोई जादू की छड़ी थोड़े ही है, टीम वर्क है, सुधार कर रहे हैं। कोई भी विभाग या अधिकारी नहीं चाहता कि उसके छात्रावासों में कमी रहे। उपलब्ध संसाधन में जो बेहतर व्यवस्था हो सकती है, वह तो कर ही रहेे हैं। सौरव राठौर, प्रभारी जिला संयोजक, अनुसूचित जाति जन जाति
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