इस मामले ने प्रशासनिक स्तर पर हलचल मचा दी, और अब महाराष्ट्र सरकार ने भविष्य में इस प्रकार की चूक न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाया है। सरकार ने एक आधिकारिक परिपत्र जारी कर सभी प्रशासकीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के दौरे के समय किस प्रकार का प्रोटोकॉल पालन करना आवश्यक होगा।
महाराष्ट्र सरकार ने भारत के चीफ जस्टिस (CJI) की यात्रा के दौरान राज्य में आधिकारिक शिष्टाचार का पालन तय करने के लिए प्रोटोकॉल गाइडलाइन्स जारी की हैं। सरकार के परिपत्र में यह घोषणा की गई है कि मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को अब स्थायी राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया है। हालांकि वे पहले से ही महाराष्ट्र राज्य अतिथि नियम, 2004 के अंतर्गत राज्य अतिथि घोषित थे, लेकिन अब इस दर्जे को औपचारिक रूप से स्थायी कर दिया गया है। इसके अंतर्गत उन्हें राज्य में किसी भी दौरे के दौरान आवास, वाहन सुविधा, सुरक्षा व्यवस्था आदि सभी आवश्यक राजशिष्टाचार सेवाएं मिलती रहेंगी।
साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि जब भी मुख्य न्यायाधीश मुंबई या महाराष्ट्र के अन्य किसी जिले के दौरे पर होंगे, तो मुख्य सचिव या उनके वरिष्ठ प्रतिनिधि, पुलिस महानिदेशक या उनके वरिष्ठ प्रतिनिधि, संबंधित जिलों में जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त अथवा अधीक्षक खुद या उनके वरिष्ठ अधिकारी सीजेआई का स्वागत एवं विदाई सुनिश्चित करेंगे।
क्या है मामला?
भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई रविवार को महाराष्ट्र दौरे पर आये थे। इस दौरान प्रोटोकॉल का पालन न किए जाने के कारण उन्होंने नाराजगी जताई थी। दरअसल सीजेआई बीआर गवई के महाराष्ट्र दौरे के दौरान अगवानी के लिए राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP) या पुलिस कमिश्नर नहीं पहुंचे थे, जिस पर उन्होंने नाराजगी जताई। हालांकि सीजेआई ने कहा था कि वह इस तरह की छोटी-मोटी चीजों में नहीं पड़ना चाहते, लेकिन इसका जिक्र करना जरूरी है, जिससे लोगों को इसके बारे में पता चले। गौरतलब हो कि सीजेआई भारत सरकार की Warrant of Precedence में छठे स्थान पर होते हैं। उनकी आधिकारिक यात्रा पर प्रोटोकॉल के तहत राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी और पुलिस कमिश्नर जैसे वरिष्ठ अधिकारी उन्हें रिसीव करते हैं। उन्हें राजकीय आतिथ्य, सरकारी वाहन, एस्कॉर्ट, और गेस्ट हाउस की सुविधा मिलती है। कार्यक्रमों में उन्हें मुख्य अतिथि का दर्जा दिया जाता है।