विपक्ष को एक के बाद एक झटके!
पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों में सिपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी (एमवीए) को जबरदस्त सफलता मिली थी, जबकि सत्तारूढ़ महायुति को तगड़ा झटका लगा था। लेकिन कुछ ही महीने में बाजी पलट गई और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को प्रचंड जीत मिली। अब महाराष्ट्र में आगामी निकाय चुनावों की तैयारी जोरों पर है। महायुति और महाविकास आघाडी दोनों भी दमखम के साथ अपना खेमा मजबूत करने में जुटे है। लेकिन इस राजनीतिक सरगर्मी के बीच एमवीए के नेता लगातार पाला बदल रहे है और महायुति में शामिल हो रहे है। इस कड़ी में अब हिंगोली से एमवीए में शामिल कांग्रेस को बड़ा झटका लगने वाला है। टिकट नहीं मिलने से नाराज?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंगोली विधानसभा के पूर्व विधायक भाऊ पाटील गोरेगांवकर जल्द ही एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल होने वाले हैं। गोरेगांवकर तीन बार हिंगोली सीट से विधायक रह चुके हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाऊ पाटील मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के संपर्क में आये और अब जल्द ही उनके शिवसेना में शामिल होने की जानकारी सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक, वह पहले ही शिवसेना प्रमुख शिंदे से मुलाकात कर चुके है और हिंगोली में एक बड़े कार्यक्रम में वह धनुष-बाण उठाएंगे। रविंद्र धंगेकर के बाद अगर भाऊ पाटील गोरेगांवकर भी शिवसेना शिंदे गुट में शामिल होते है तो कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगेगा।
संजय राउत का बड़ा दावा
सोमवार रात में पूर्व कांग्रेस विधायक रविंद्र धंगेकर ने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान किया और शिवसेना में शामिल हो गए। पिछले कुछ महीनों से उनके कांग्रेस से नाराज होने की अटकलें लगाई जा रही थी। धंगेकर ने 2023 में पुणे जिले की कसबा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीते थे। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें पुणे सीट से चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन वह बीजेपी के मुरलीधर मोहोल से हार गए। इसके बाद नवंबर 2024 के राज्य विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कसबा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार वह बीजेपी के हेमंत रासने से पराजित हो गए। जबकि 2023 के कसबा उपचुनाव में धंगेकर ने रासने को हराया था। धंगेकर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि उनके लिए कांग्रेस छोड़ना दुखद है। लेकिन समर्थकों और मतदाताओं की भावनाओं को देखते हुए उन्हें यह फैसला लेना पड़ा है। उधर, उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने दावा किया कि धांगेकर की पत्नी को गिरफ्तार करने का अभियान महायुति सरकार ने शुरू किया था। इसलिए वह कांग्रेस छोड़कर गए। हालांकि धंगेकर ने राउत के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है।