मनसे प्रमुख राज ठाकरे के करीबी ने मंगलवार को दावा किया कि विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इनकार करने के कारण मनसे की महायुति में एंट्री नहीं हो सकी थी। पार्टी के सूत्रों ने बताया कि मनसे के नेताओं ने मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव महायुति के साथ मिलकर लड़ने की जोरदार मांग की है।
आगामी मुंबई नगर निगम चुनाव को लेकर मंगलवार को मुंबई में मनसे के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसी बैठक में महायुति गठबंधन में जाने की मांग की गयी। इस बैठक में मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे भी मौजूद थे। मनसे नेताओं और पदाधिकारियों की बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली। इस बैठक में आगामी नगर निगम चुनाव अहम मुद्दा रहा।
बताया जा रहा है कि मनसे नेताओं की एक समिति बनाई जाएगी और निकाय चुनाव के लिए गठबंधन पर निर्णय लेते समय इस समिति की राय को ध्यान में रखा जाएगा। एक बड़े नेता ने बताया कि एकनाथ शिंदे की अस्वीकृति की वजह से मनसे महायुति गठबंधन में शामिल नहीं हुई। ऐसे में अब राजनीतिक गलियारे में इसकी चर्चा शुरू हो गई है।
बता दें की महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मनसे को एक भी सीट नहीं मिली, यहां तक की पहली बार चुनाव लड़ रहे राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे बुरी तरह हार गए। राज ठाकरे की मनसे की स्थापना के बाद यह पहली बार है कि मनसे विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई है।
गौरतलब हो कि राज ठाकरे ने अपने चाचा बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को अलविदा कहने के बाद मनसे की स्थापना की और साल 2009 में चुनावी राजनीति में कदम रखा. 2009 में पहली बार चुनाव लड़ने पर मनसे ने 13 सीटें जीती थीं। वहीँ, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पास एक-एक विधायक थे।
हाईकोर्ट में 60 याचिकाएं दायर
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कथित गड़बड़ियों को लेकर महाविकास अघाड़ी (MVA) के घटक दलों के पराजित उम्मीदवारों द्वारा याचिकाएं दायर की गई हैं। ऐसी कुल 60 याचिकाएं बॉम्बे हाईकोर्ट के साथ-साथ हाईकोर्ट की औरंगाबाद और नागपुर बेंच में दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में चुनाव के दौरान जाति-धर्म के आधार पर वोट मांगने, पैसे बांटने, वोटर लिस्ट में छेड़छाड़, उम्मीदवारों द्वारा अपने हलफनामे में की गई गलतियां और ईवीएम को लेकर आपत्तियां शामिल हैं।