चुनाव आयोग ने इससे पहले शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना फैसला एकनाथ शिंदे गुट के पक्ष में सुनाया था, जिसे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना (यूबीटी) गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए उद्धव खेमे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कई दलीलें दीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट जल्द से जल्द सुनवाई के लिए सहमत नहीं हुआ।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के सामने कपिल सिब्बल ने दलील दी कि एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का मूल चुनाव चिह्न (धनुष-बाण) मिला है और महाराष्ट्र में चार महीने के भीतर निकाय चुनाव कराने का निर्देश खुद सुप्रीम कोर्ट ने दिया है, ऐसे में इस मुद्दे पर तत्काल सुनवाई जरूरी है।
हालांकि, अदालत ने इस तर्क को मानने से इनकार करते हुए कहा, यह स्थानीय निकाय चुनाव हैं। यह जरूरी नहीं कि आप सिर्फ चुनाव चिह्न के आधार पर ही चुनाव लड़ें। पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि स्थानीय निकाय चुनावों में मतदाताओं के लिए चुनाव चिह्न का उतना महत्व नहीं होता।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, आपके पास भी चुनाव चिह्न है, आप चुनाव में हिस्सा लीजिए। 2017 से नगरपालिका चुनाव नहीं हुए हैं। चुनाव को सुचारु रूप से होने दीजिए।” हालांकि, कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी का असली प्रतीक चिन्ह अब शिंदे गुट के पास है, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। इस पर अदालत ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव में ज्यादातर मतदाताओं के लिए चिन्ह का बहुत महत्व नहीं होता है। यदि इस मामले में कोई अर्जेंट सुनवाई की जरुरत दिखती है, तो गर्मी की छुट्टियों के दौरान सुनवाई की जा सकती है।
गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (6 मई) को महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना चार सप्ताह के भीतर जारी करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न कराने के लिए समय-सीमा तय करते हुए इसे चार महीने में संपन्न करने का आदेश भी दिया है।