गौरतलब है कि भारत में हर साल लाखों सड़क हादसे होते हैं, जिनमें लाखों लोग अपनी जान गंवाते और लाखों गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। निजी अस्पताल नजदीक होने के बावजूद घायलों को दूर के सरकारी अस्पताल ले जााया जाता है, जिसके कारण समय पर इलाज न मिलने के कारण घायलों की स्थिति और बिगड़ जाती है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य ‘गोल्डनआवर’ (हादसे के पहले एक घंटे) के दौरान घायल को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना है, क्योंकि इस समय में दी गई चिकित्सा सहायता से जान बचाने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
जानिए, क्या है योजना इस योजना के तहत सड़क दुर्घटना का शिकार कोई भी व्यक्ति, चाहे वह भारतीय नागरिक हो या विदेशी, देशभर के किसी भी नामित अस्पताल में अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज प्राप्त कर सकेगा। यह सुविधा हादसे की तारीख से 7 दिनों तक उपलब्ध रहेगी, ताकि पीडि़तों को तुरंत और प्रभावी चिकित्सा सहायता मिल सके। योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक तंगी या जटिल प्रक्रियाओं के कारण किसी भी घायल व्यक्ति को समय पर इलाज से वंचित न होना पड़े।
अस्पतालों को सरकार करेगी पुनर्भरण यह योजना सभी प्रकार की सड़क दुर्घटनाओं को कवर करेगी, चाहे वह मोटर वाहन से संबंधित हो या अन्य कारणों से हुई हो। इसके लिए सरकार ने देशभर में अस्पतालों का एक नेटवर्क तैयार किया है, जिसमें सरकारी और निजी दोनों तरह के अस्पताल शामिल होंगे। इन अस्पतालों को योजना के तहत पंजीकृत किया जाएगा और वे कैशलेस इलाज प्रदान करने के लिए अधिकृत होंगे। इलाज का खर्च सरकार की ओर से वहन किया जाएगा, जिसके लिए एक पारदर्शी और डिजिटल प्रणाली विकसित की जा रही है।
अन्य अस्पतालों में सिर्फ प्राथमिक उपचार अगर किसी कारणवश पीडि़त को नामित अस्पताल नहीं मिल पाता और इलाज किसी अन्य अस्पताल में कराया जाता है। तो उस स्थिति में उस अस्पताल में सिर्फ स्थिर हालत (स्टेबलाइजेशन) तक का इलाज ही इस योजना के तहत कवर किया जाएगा। इस बारे में अलग से गाइडलाइन जारी की गई हैं।
सरल प्रक्रिया पर दिया जोर योजना के तहत इलाज की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने पर विशेष जोर दिया गया है। इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर की व्यवस्था की जाएगी, जहां पीडि़त या उनके परिवार वाले आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा, हादसे के तुरंत बाद पुलिस और आपातकालीन सेवाओं को अस्पतालों के साथ समन्वय करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि घायलों को जल्द से जल्द चिकित्सा सुविधा मिल सके।
आर्थिक बोझ से मिलेगी राहत यह योजना सड़क दुर्घटना पीडि़तों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कवच के रूप में काम करेगी। यह न केवल उनकी जान बचाने में मदद करेगी, बल्कि उनके परिवारों पर पडऩे वाले आर्थिक बोझ को भी कम करेगी। खास तौर पर, ग्रामीण और दूरदराज के लोगों के लिए यह योजना राहतकारी साबित होगी।