वीडियो : नागौर में पिकअप पलटने से बच्चों व महिलाओं सहित 28 जने हुए घायल, एक की मौत
राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर खेंंण फांटा के पास टायर फटने से हुआ हादसा, घायलों को मूण्डवा व नागौर के अस्पताल में कराया भर्ती, गंभीर तीन घायलों को जोधपुर व बीकानेर भेजा
मूण्डवा(नागौर). राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर खेंण फांटा के पास टायर फटने से लोडिंग वाहन पिकअप पलट गई। जिससे उसमें बैठे बच्चों एवं महिलाओं सहित 28 जने घायल हो गए। पिकअप गाड़ी में सवार एक ही परिवार के लोग कुचेरा के निकटवर्ती लूणसरा गांव में शोकसभा में भाग लेकर वापस नागौर की ओर लौट रहे थे। सभी घायल नागौर के अलाय कस्बे के व बीकानेर के पांचू थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। हादसे के बाद मौके पर घायलों की चीख पुकार से कोहराम मच गया। राह चलते वाहनों से लोग उतरे तथा तुरंत घायलों को मूण्डवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व नागौर के जेएलएन जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कुछ गंभीर घायलों को हायर सेंटर रेफर किया गया।
मददगारों ने घायलों को बिना समय गंवाए पहुंचाया अस्पताल एम्बुलेंस का इंतजार किए बिना पहुंचाया अस्पताल प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दुर्घटना करीब साढ़े 5 बजे खेंण फांटा के पास पिकअप का टायर फटने से हुई। घायलों की संख्या बता रही है कि पिकअप में करीब 30 जने सवार थे। कुचेरा नगर पालिका में संविदा कर लगे अड़वड़ के महेन्द्र सारण ने बताया कि वह अपनी बोलेरो से दोस्त के परिवारजनों को नागौर से गांव ले जा रहा था, लेकिन जैसे खेंण फांटा के पास पहुंचा तो घायल तडफ़ रहे थे और एम्बुलेंस नहीं पहुंची थी। जिन्हें देखकर उसने दोस्त के परिवारजनों को वहीं उतारा और सात-आठ घायलों को गाड़ी में बैठाकर सीधा जेएलएन अस्पताल पहुंचाया। यहां की अव्यवस्था देखकर काफी दु:ख हुआ।
मानवता सर्वोपरि नागौर के रानारामडिडेल ने बताया कि मैं अपने परिवार के साथ मेड़ता से नागौर आ रहा था। खेंण फांटा के पास घायल कराह रहे थे और भीड़ तमाशबीन बनी हुई थी। मैंने उनको हैल्प के लिए कहा तो कुछ मिलने वाले आए। कुछ ने कहा खून से गाड़ी की सीटें खराब हो जाएगी। मैंने अपनी गाड़ी से पांच लोगों को जेएलएन अस्पताल पहुंचाया, ताकि उनकी जान बच सके। और भी लोगों ने बिना एम्बुलेंस का इंतजार किए घायलों को अस्पताल पहुंचाकर मानवता को परिचय दिया है।
ये हुए घायल जेएलएन अस्पताल चौकी पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार दुर्घटना में अलाय निवासी किशोर (28) पुत्र पुखराज की मृत्यु हो गई, वहीं अलाय निवासी दिनेश वाल्मीकि की पत्नी मीरा (26), पुत्री संतोष (8), पुत्र कुशाल (3) व पुत्री नैनतारा (6) घायल हो गए। इसी प्रकार नोखा के चरकड़ा निवासी जगदीश (50) पुत्री गोरधनराम वाल्मीकि, अलाय निवासी सुनील (22) पुत्र कालूराम, अंजली (13) पुत्री रमेश, मनीष (6) पुत्र रमेश, नौरतन (14) पुत्र मुन्नीराम, नीतू (14) पुत्र सुरेश, तीजा (28) पत्नी रामूराम, देवकरण (25) पुत्र सहदेव वाल्मीकि, मुकेश (22) पुत्र मुन्नीराम, मुकेश (22) पुत्र कालूराम घायल हो गए।सभी घायलों को जेएलएन अस्पताल में भर्ती कराया।
इसी प्रकार मूण्डवा थानाधिकारी ने बताया कि अलाय निवासी कालूराम (60) पुत्र रंगलाल, कली (60) पत्नी कालूराम, पांचू निवासी बाली (30) पत्नी लक्ष्मणराम, राहुल (13) पुत्र लक्ष्मणराम, दुर्गा (35) पत्नी घनश्याम, अलाय निवासी रणजीत (10) पुत्र घनश्याम, राकेश (15) पुत्र रामूराम, करण (13) पुत्र घनश्याम, तेजाराम (21) मुन्नीराम, देव (7) पुत्र घनश्याम, मंजू (55) पत्नी हरिराम, लक्ष्मणराम (32) पुत्र शिवलाल, सुमन (30) पत्नी सुरेश, शिवानी (10) पुत्री सुरेश घायल हुए, जिन्हें मूण्डवा के सीएचसी पहुंचाया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद दुर्गा, राहुल, करण, देव व राकेश को नागौर रेफर किया गया। नागौर से मीरा, तीजा व देवकरण की हालत गंभीर होने पर हायर सेंटर रेफर किया गया।
दुर्घटना में क्षतिग्रस्त पिकअप वाहन कई बार हो चुके हादसे, फिर भी नहीं लापरवाही जारी लोडिंग वाहन पिकअप से यात्रियों का परिवहन नियम विरुद्ध लगातार जारी है। चाहे किसी सामाजिक कार्यक्रम में जाना हो या फिर मजदूरों को खेत से लाना-ले जाना हो। चाहे ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को खेलने ले जाना हो या फिर परीक्षा दिलाने, पिकअप में भरकर ही परिवहन किया जाता है। क्षमता से अधिक सवारियां भरने से पिछले सालों में पिकअप से एक नहीं बल्कि कई हादसे हुए हैं, जिनमें 14 साल पहले बुटाटी के पास हुए हादसे को आज भी नहीं भुलाया जा सका है, जिसमें 30 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। हादसा होने के बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई के आदेश भी जारी करते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद मामला ठंडा पड़ जाता है।
अस्पताल की अव्यवस्था पर हुए नाराज जेएलएन अस्तपाल के इमरजेंसी वार्ड में एक साथ पहुंचे एक दर्जन से अधिक घायलों को लेटाने के लिए बेड नहीं थे और न ही वाहनों से घायलों को उतारकर वार्ड तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर। इसके चलते घायलों को गोद में उठाकर अंदर ले जाना पड़ा। वहीं इमरजेंसी में बेड कम होने से कई घायलों को बैठे रहना पड़ा। इससे परिजन व घायलों को लाने वाले मददगार काफी नाराज हुए। वहीं घायलों को हायर सेंटर रेफर करने के दौरान भी सरकारी एम्बुलेंस की जगह प्राइवेट एम्बुलेंस आने पर लोगों ने नाराजगी जताई।
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