29 मार्च से शुरू होगी प्रतिपदा तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च की शाम 4 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होगी और 30 मार्च दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। इसी कारण चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल को रामनवमी के साथ संपन्न होगी। इस बार नवरात्र विशेष ज्योतिषीय संयोग लेकर आया है। मांगलिक कार्य रहेंगे वर्जित
नागदा निवासी ज्योतिष पं. चंद्रशेखर दवे के अनुसार, 15 मार्च से प्रारंभ हुआ मलमास 15 अप्रैल तक रहेगा, जिसके कारण इस अवधि में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। इस बार चैत्र नवरात्र आठ दिन की मानी जा रही है, क्योंकि पंचमी तिथि क्षय हो रही है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में चौथा और पांचवां दिन एक साथ पड़ रहा है, जिससे नवरात्र का एक दिन कम हो गया है।
करना होगा 15 अप्रैल तक इंतजार
चैत्र नवरात्रि समाप्त होने के ठीक सात दिन बाद 15 अप्रैल से मांगलिक कार्य पुनः शुरू हो जाएंगे। अप्रैल से लेकर जून तक विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश सहित अन्य शुभ कार्य संपन्न होंगे। जुलाई से अक्टूबर तक मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा, लेकिन नवंबर और दिसंबर में पुनः शादियों का शुभ समय रहेगा। अप्रैल से जून तक 23 विवाह मुहूर्त
अप्रैल से दिसंबर तक कुल 30 विवाह मुहूर्त रहेंगे, जिनमें से सर्वाधिक शादियां अप्रैल से जून के बीच संपन्न होंगी। इस अवधि में 23 विवाह मुहूर्त उपलब्ध हैं, जिनमें अकेले अप्रैल में 10 शुभ तिथियां रहेंगी। नगरवासियों में नवरात्र को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। मंदिरों में विशेष तैयारियां की जा रही हैं और माता के भक्त भजन-कीर्तन और व्रत के साथ माता की आराधना में लीन रहेंगे।
हाथी पर सवार होकर आएंगी माता
पं. चंद्रशेखर दवे के अनुसार, इस बार माता दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, जो देश के लिए शुभ संयोग माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में हाथी को सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं और इसी पर प्रस्थान करती हैं, तो उस वर्ष देश में अच्छी वर्षा होती है। इससे फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है और धन-धान्य की भी वृद्धि होती है।