तीन मुख्य कारण जिम्मेदार
ग्रामीण अंचलों में सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति के पीछे तीन मुख्य कारण बताए जा रहे हैं—
- बिना मापदंड निजी स्कूलों को मान्यता– ग्रामीण क्षेत्रों में बिना उचित मापदंड के निजी स्कूलों को मान्यता दी जा रही है। इसके कारण अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाने के बजाय निजी स्कूलों में भेज रहे हैं।
- आरटीई के तहत मुफ्त शिक्षा– राइट टू एजुकेशन (RTE) के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत बच्चों को निशुल्क प्रवेश देने का प्रावधान है, जिसका खर्च सरकार उठाती है। इससे भी सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है।
- सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और शैक्षणिक गतिविधियों की कमी- सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी, विज्ञान और गणित विषय के शिक्षकों की सबसे अधिक कमी देखी जा रही है। वहीं, कई स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियों का अभाव रहता है। दूसरी ओर, निजी स्कूलों में प्रारंभ से ही विषय-विशेषज्ञ शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं और वहां शैक्षणिक गतिविधियां नियमित रूप से संचालित की जाती हैं। इसी कारण ग्रामीण क्षेत्रों के अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाना ज्यादा उचित समझते हैं।
सीएम राइज स्कूल से मिलेगी राहत?
गोटेगांव में सीएम राइज स्कूल भवन का निर्माण कार्य जारी है। इसके पूर्ण होते ही इस स्कूल के तहत शैक्षणिक गतिविधियां संचालित की जाएंगी। सीएम राइज स्कूलों में विषय-विशेषज्ञ शिक्षक तो उपलब्ध होंगे, लेकिन उनकी संख्या कितनी होगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या और गुणवत्ता में सुधार किया जाए, तो सरकारी स्कूलों की गिरती स्थिति को संभाला जा सकता है।
सरकारी स्कूलों का भविष्य अधर में
सरकारी स्कूलों में बच्चों की घटती संख्या से शिक्षा विभाग चिंतित है। यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो कई सरकारी स्कूल बंद हो सकते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र के उन बच्चों पर प्रभाव पड़ेगा, जो निजी स्कूलों की फीस वहन करने में असमर्थ हैं।