यह बैठक उस समय हो रही है जब AAP को दिल्ली चुनाव में बड़ा झटका लगा है और पार्टी को सिर्फ 22 सीटें हासिल हुई हैं, जो 2020 के चुनावों में प्राप्त 62 सीटों से बहुत कम हैं। वहीं, भाजपा ने 8 फरवरी को ऐतिहासिक जीत हासिल की, और दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से 48 सीटें जीतकर 27 साल बाद राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता में वापसी की।
बाजवा का दावा- 30 से अधिक विधायक कांग्रेस के संपर्क में
इससे पहले, कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने दावा किया था कि पंजाब में AAP के 30 से अधिक विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं और वे पार्टी बदलने के लिए तैयार हैं। बाजवा ने दिल्ली चुनाव के परिणामों पर भी AAP पर हमला करते हुए कहा कि पार्टी को दिल्ली में एक अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, “इस हार के साथ ही झूठ, छल और खोखले वादों का युग खत्म हो गया है। केजरीवाल ने एक बार कहा था, ‘अगर मैं भ्रष्ट होता, तो लोग मुझे वोट नहीं देते।’ अब वह खुद अपनी सीट हार गए हैं। इसका क्या मतलब है? क्या दिल्ली के लोग उन्हें भ्रष्ट मानते हैं?” बाजवा ने अपने आरोपों को और तेज करते हुए कहा कि पंजाब के लोग अब “आम आदमी पार्टी” के असली चेहरे को पहचान चुके हैं। उन्होंने कहा, “केजरीवाल और भगवंत मान ने पंजाबियों को बेवकूफ बनाने के लिए 2022 में बड़े-बड़े वादे किए थे। लेकिन आज तक महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह देने का वादा पूरा नहीं हो सका है। खनन से 20,000 करोड़ रुपये जुटाने का उनका दावा भी विफल रहा है।”
‘दिल्ली के चुनाव परिणाम AAP के अंत की ओर इशारा’
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार अपने भ्रष्ट मंत्रियों और नेताओं के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम रही है। उन्होंने भविष्यवाणी की, “2027 में मान सरकार का भी यही हश्र होगा। दिल्ली के चुनाव परिणाम AAP के अंत की ओर इशारा करते हैं।” इससे साफ है कि दिल्ली में मिली हार और पंजाब में कांग्रेस की बढ़ती आक्रमकता AAP के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। आने वाले दिनों में यह बैठक इस बात को और स्पष्ट कर सकती है कि AAP अपनी स्थिति को कैसे सुधारने का प्रयास करती है।