कोर्ट ने गिरफ्तारी को बताया अनुचित
कोर्ट ने इसे ‘अति उग्र’ और ‘अनुचित’ करार देते हुए कहा कि छात्रा को सुधार का मौका देने के बजाय ‘अपराधी’ की तरह व्यवहार किया गया। जस्टिस गौरी गोडसे और सोमशेखर सुंदरेश्वरन की वेकेशन बेंच ने तत्काल रिहाई का आदेश दिया, निष्कासन रद्द किया और छात्रा को चल रही सेमेस्टर IV परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी। कोर्ट ने पुलिस को परीक्षा के दौरान सुरक्षा प्रदान करने और बिना अनुमति महाराष्ट्र छोड़ने पर रोक लगाई।
कॉलेज के दावे को किया खारिज
कॉलेज के ‘राष्ट्रीय हित’ के दावे को खारिज करते हुए जस्टिस गोडसे ने कहा, “राष्ट्रीय हित को एक छात्रा की पोस्ट से खतरा नहीं।” कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या सरकार छात्रों को अपनी राय व्यक्त करने से रोकना चाहती है और कॉलेज से पूछा कि निष्कासन से पहले छात्रा को सफाई का मौका क्यों नहीं दिया गया।
कॉलेज के निष्कासन पत्र में क्या कहा था
पुणे कॉलेज के निष्कासन पत्र में कहा गया कि संस्थान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को मान्यता देता है, लेकिन यह भी अपेक्षा करता है कि छात्र “ऐसे अधिकारों का जिम्मेदारी से और कानून के दायरे में रहकर उपयोग करें”। इसमें आगे कहा गया है कि छात्रा के सोशल मीडिया अकाउंट पर किए गए पोस्ट “कॉलेज की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले माने गए हैं और इससे कैंपस समुदाय और समाज में वैमनस्य पैदा हो सकता है”। क्या है पूरा मामला
बता दें कि छात्रा ने सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक पोस्ट किया था। इसके बाद छात्रा को गिरफ्तार कर लिया था। छात्रा इस समय न्यायिक हिरासत में है। छात्रा ने अपने कॉलेज की ओर से उसे निष्कासित करने के निर्णय को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट की ओर रुख किया।