आप ने हरियाणा में बिगाड़ा था कांग्रेस का खेल
दरअसल, आप ने अति आत्मविश्वास के चलते पहले दिल्ली कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया। कांग्रेस ने शुरुआत में चुनाव प्रचार में सुस्ती बरती लेकिन आप के नेताओं, खासकर केजरीवाल, ने उसकी भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाया तो कांग्रेस ने अंतिम दौर में पूरी ताकत झोंक दी। इसके चलते कांग्रेस का वोट करीब दो फीसदी बढ़ गया। इससे कांग्रेस का तो खाता नहीं खुला लेकिन भाजपा के मुकाबले इतने ही वोट प्रतिशत के अंतर से आप बुरी तरह पराजित हुई। संदीप दीक्षित का देजा’वू मोमेंट
नई दिल्ली सीट अरविंद केजरीवाल की चौंकाने वाली हार कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित का देजा’वू मोमेंट साबित हुआ। केजरीवाल इस सीट पर भाजपा के प्रवेश वर्मा से मात्र 4089 वोट से हारे। तीसरे नंबर पर रहे दीक्षित ने इस अंतर से अधिक 4568 वोट हासिल कर केजरीवाल की हार का इंतजाम कर दिया और 12 साल पहले दिल्ली की लोकप्रिय मुख्यमंत्री रहीं अपनी मां शीला दीक्षित की हार का बदला ले लिया। मां की हार के बाद से दिल्ली की राजनीति में केजरीवाल के कड़े आलोचक रहे संदीप चुनाव के दौरान आप संयोजक पर ही ज्यादा हमलावर रहे। इस सीट पर आप कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ती तो केजरीवाल चुनाव जीत सकते थे।
इन सीटों पर दिग्गजों को हरवाया
जंगपुरा: भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह ने आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को महज 675 वोट से हराया है। जबकि कांग्रेस के फरहाद सूरी को 7350 वोट मिले हैं।
ग्रेटर कैलाश: भाजपा की शिखा रॉय ने आप के सौरभ भारद्वाज 3188 वोटों के अंतर से हराया है। यहां कांग्रेस के गर्वित सिंघवी को 6711 वोट हासिल हुए हैं। मालवीय नगर: भाजपा के सतीश उपाध्याय ने पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती को 2131 वोटों से हराया। कांग्रेस के जितेंद्र कुमार कोचर को 6770 वोट मिले हैं।
बादली: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने 41 हजार से अधिक वोट हासिल किए। इसके चलते भाजपा के अहीर दीपक चौधरी ने आप के अजेश यादव को 15 हजार 163 वोट से हरा दिया।
कस्तूरबा नगर: कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक दत्त ने 27019 वोट हासिल कर दूसरा स्थान हासिल किया। उन्हें भाजपा के नीरज बसोया ने 11048 वोट से हराया है। आप उम्मीदवार रमेश पहलवान तीसरे नंबर पर।
इन 8 सीटों पर भी कांग्रेस बनी हार का कारण
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की हार की वजह ये आठ सीटे राजेंद्र नगर, संगम विहार, तिमारपुर, महरौली, त्रिलोकपुरी, मादीपुर, महरौली और नांगलोई जाट भी मानी जा रही है।