महिला और मध्यम वर्ग ने खत्म कराया 27 साल का वनवास, BJP सांसदों का जलवा बरकरार
Delhi Assembly Election Result: लोकसभा चुनाव-2024 में जीत का डंका बजाने वाले दिल्ली के सात भाजपा सांसदों ने विधानसभा चुनाव में भी अपनी पकड़ बरकरार साबित की है।
Delhi Assembly Election Result: लोकसभा चुनाव-2024 में जीत का डंका बजाने वाले दिल्ली के सात भाजपा सांसदों ने विधानसभा चुनाव में भी अपनी पकड़ बरकरार साबित की है। विधानसभा चुनाव में सात में से पांच संसदीय सीटों के तहत आने वाली विधानसभा सीटों पर भाजपा ने बढ़त रखी है जबकि दो सीटों पर आम आदमी पार्टी (आप) से बराबरी पर रही है। लोकसभा चुनाव आप और कांग्रेस ने मिल कर लड़ा था लेकिन सभी सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। आप ने चार सीटों पर तथा कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि विधानसभा चुनाव में भाजपा लोकसभा के मुकाबले अपना मत प्रतिशत (54.35 प्रतिशत) बरकरार नहीं रख पाई। आप-कांग्रेस को कुल मिलाकर 43.08 फीसदी मतों से संतोष करना पड़ा था।
दिल्ली में भाजपा का वनवास खत्म हुआ। आम आदमी (वोटर) ने आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के मुगालते को भी खत्म कर दिया कि उनके जीवनकाल मेें भाजपा को कभी भी दिल्ली की सत्ता नसीब नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने सटीक प्रतिक्रिया दी, ‘और लड़ो आपस में’। राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन के सदस्य कांग्रेस और आप हरियाणा के बाद दिल्ली में एक-दूसरे के लिए कब्र खोदते रहे हैं। इससे न सिर्फ आप की कुर्सी गई, कांग्रेस ने भी दो फीसदी ज्यादा वोट लेने के बावजूद लगातार तीन चुनाव में शून्य पर आउट होने की हैट्रिक बनाई। अब सबकी नजर इस बात पर टिक गई है कि कौन बनेगा दिल्ली का नया सीएम।
शराब और घोटालों के कारण केजरीवाल की छवि खराब – अन्ना हजारे
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बड़ी पराजय के लिए उसके नेतृत्व की भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्तता को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि चुनाव में उम्मीदवारों में मजबूत चरित्र, अच्छे विचार और स्वच्छ छवि होनी चाहिए। लेकिन आप में इसकी कमी है। वे शराब और धन घोटालों में उलझ गए, जिससे अरविंद की छवि खराब हुई। लोगों ने देखा कि केजरीवाल चरित्र की बात करते हैं लेकिन शराब घोटाले में शामिल हो गए। राजनीति में आरोप लगाना आम बात है, लेकिन बेगुनाही साबित करनी पड़ती है, सच हमेशा सच रहता है। उम्मीदवार का आचरण, विचार, दोषरहित जीवन और त्याग के गुण मतदाताओं में विश्वास पैदा करते हैं। मैंने केजरीवाल को इन सिद्धांतों पर सलाह दी थी लेकिन वह इस पर ध्यान देने के बजाय शराब जैसे मुद्दों पर ध्यान देने लगे।
गौरतलब है कि अन्ना हजारे के नेतृत्व में 2012 में तत्कालीन कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के खिलाफ देश भर में चले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में केजरीवाल प्रमुख भूमिका में थे। उसी पृष्ठभूमि में केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर चुनावी राजनीति शुरू की थी। हालांकि अन्ना इससे सहमत नहीं थे।